सिलक्यारा सुरंग हादसे से एक सनसनीखेज खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि सुरंग के अंदर फंसे हुए श्रमिकों की संख्या 40 नहीं 41 है। विचारणीय विषय यह है कि इस बात का पता चलने में 6 दिन लग गए। इसे घोर लापरवाही नहीं कहा जाएगा तो और क्या कहा जाए। अभी तक इस दुर्घटना में 40 श्रमिकों के सुरंग में फंसे होने की बात कही जा रही थी, जो जो सरकार के अधिकारियों और कंपनी के अधिकारियों की घोर अकर्मण्यता को दर्शाता है। इससे पता चलता है कि कंपनी द्वारा सुरंग में काम कर रहे मजदूरों की सही संख्या तक की सही जानकारी नहीं रखी जा रही है, तो काम सही हो रहा होगा प्रश्न चिन्ह लगता है। जबकी नियम यह कहता है कि निर्माण कंपनी को अपने सभी कर्मचारियों का पूरा ब्यौरा रखना चाहिए और इसके लिए बाकायदा रजिस्टर भी बनाया जाता है। उससे ही पता चलता है कि किस शिफ्ट में कौन-कौन श्रमिक है तथा कितने उपस्थित हैं और कितने अनुपस्थिति। इस हादसे के बाद कंपनी से जो अधिकृत जानकारी दी गई उसमें 40 मजदूरों के सुरंग में कार्यरत होने व फंसने की बात बताई गई जो सभी समाचारों व टीवी चैनलों पर भी प्रकाशित किया गया इसमें कर्मचारियों के नाम व पते तक बताए गए थे, जिसके आधार पर ही यह बात खुलकर सामने आई थी कि किस राज्य के कितने मजदूर सुरंग में फंसे हुए हैं। इस सूची में कुल 40 लोगों के नाम थे जिसमें 15 सबसे अधिक झारखंड के थे, यूपी के 8 और उत्तराखंड के 2 लोगों के नाम थे। लेकिन अब कोटद्वार उत्तराखंड के निवासी उदय सिंह के भी सुरंग में फंसे होने की बात सामने आई है।जिसका पता उदय सिंह के परिजनों के दुर्घटना स्थल पर पहुंचने पर चला। ऐसे में अब यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या सुरंग में कुछ और लोग भी फंसे हो सकते हैं जिनकी जानकारी नहीं दी गई है।