अल्मोड़ा जिले के 10 रूट पर काफी लंबे अरसे से रोडवेज बस सेवा बंद है। जिसकी वजह से यात्रियों को टैक्सी में या केमू की बस में सफर करना पड़ रहा है। इसी के चलते बुजुर्गो को निःशुल्क यात्रा सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा हैं। परिवहन निगम की बदहाल बस सेवा आम लोगों के साथ ही बुजुर्गों पर भारी पड़ रही है।
मजबूर यात्री अधिक किराया देकर कर रहे हैं सफर
मौजूदा वक्त में अल्मोड़ा डिपो के पास30 बसों का एक साल पहले तक 14 मार्गों पर संचालन किया जा रहा था। लेकिन चालक और कंडक्टरों की कमी से जूझ रहे परिवहन निगम द्वारा अल्मोड़ा-टनकपुर, लमगड़ा-दिल्ली, बेतालघाट – दिल्ली, अल्मोड़ा- देहरादून, मासी – दिल्ली की बस सेवाओं का संचालन रोक दिया गया है। ऐसे में यात्रियों को टैक्सी या केमू की बस में अधिक पैसा खर्च करके सफर करना पड़ रहा हैं। सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों को झेलनी पड़ रही है।टैक्सी में हल्द्वानी तक 400 रुपये किराया है, जबकि सरकार द्वारा बुजुर्गों के लिए रोडवेज बस में निःशुल्क यात्रा की सुविधा प्रदान की गई है। लेकिन निगम ने बस का संचालन रोककर उनकी दिक्कत को बढ़ा दी हैं। बस का संचालन न होने से बुजुर्गों को टैक्सी या केमू बस में किराया दे कर आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है। दिल्ली और देहरादून के सफर के लिए बुजुर्गों को पहले टैक्सी में हल्द्वानी तक 400 रुपये किराया देना पड़ रहा है। तब जाकर रोडवेज बस सेवा नसीब हो रही है। यही हालात अन्य रूप पर भी हैं, जिसकी वजह से निगम हर माह 30 लाख रुपए महीने का नुकसान हो रहा है। ऐसा नहीं कि रोडवेज के पास बस पर्याप्त नहीं हैं।कमी तो केवल इनके संचालन के लिए चालक और परिचालक की हैं। अल्मोड़ा डिपो में निगम के पास सभी बस के संचालन के लिए 24 चालक और 16 परिचालकों की कमी है।
बुजुर्ग यात्री बोले :-
- नंदन सिंह निवासी रानीखेत का कहना है कि रोडवेज बसों का संचालन ना होने के कारण हमारे लिए निःशुल्क यात्रा के कोई मायने नहीं हैं। हमें टैक्सी या केमू बस में किराया देकर सफर करना पड़ रहा है।
- अगस्त लाल साह निवासी रानीखेत का भी कहना है कि लंबे समय से रोडवेज बसों का संचालन बंद है।
आर के आर्या,सहायक महाप्रंधक, अल्मोड़ा
डिपो का कहना है कि मौजूदा वक्त में निगम के पास चालक और परिचालकों कीकमी है। जल्दी ही इनकी कर ली जाएगी जिसके बाद सभी रूटों पर बसों का संचालन सुचारू किया जाएगा।