राजधानी देहरादून में बिना जांच परीक्षण के बेचे जा रहे मटन -चिकन पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सरकार से 24 घंटे में इसका जवाब देने को कहा है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने नगर निगम और खाद्य सुरक्षा विभाग को भी 6 हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा है।
देहरादून निवासी RTI activist विकेश सिंह नेगी ने दायर याचिका में कहा था कि देहरादून का एकमात्र स्लाटर हाउस चार साल पहले बंद हो चुका है। इसलिए मीट की दुकानों में बिना जांच परीक्षण के जानवरों का मांस बेचा जा रहा है। चिकन और मटन कहां काटा जा रहा है, कहां से आ रहा है। इससे नगर निगम और खाद्य सुरक्षा विभाग बेखबर है।
याचिकाकर्ता ने आगे बताया कि देहरादून में बूचड़खाने 2018 में बंद हो गए थे तो ऐसे में बिना खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच के मटन -चिकन कैसे बेचा जा रहा है। उनका कहना है कि नगर निगम और खाद्य सुरक्षा विभाग देहरादून की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है और जनता इन दोनों विभागों की लापरवाही के कारण पीस रही है। दोनों विभाग एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं और इसकी जिम्मेदारी एक दूसरे के सिर पर ठोक रहे हैं,जो की जनमानस की सेहत की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। खाद्य सुरक्षा विभाग कहता है कि दुकान नगर निगम द्वारा आवंटित की गई है इसलिए जिम्मेदारी उसकी है। वहीं नगर निगम का कहना है कि लाइसेंस खाद्य सुरक्षा विभाग देता है इसलिए जिम्मेदारी उसकी बनती है। इस तरह दोनों विभाग जांच परीक्षण की बात की गेंद एक दूसरे के पाले में डाल रहे हैं। याचिका कर्ता ने कोर्ट को बताया कि नगर निगम द्वारा 2016 में नियम बनाया था कि बकरे व चिकन की जांच करने के बाद स्लाटर हाउस में ही काटा जाएगा। याचिका कर्ता ने पूर्व नियम को लागू करने के लिए ही माननीय न्यायालय से निवेदन किया है।
इस जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सुनवाई की और सरकार से जवाब तलब किया है।