उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए आंदोलन इसी बात को लेकर किया गया था कि पहाड़ के लोगों को शिक्षा, रोजगार और पानी नियमित रूप से और उच्च उचित मात्रा में मिलता रहे, क्योंकि पानी को लेने के लिए पहाड़ की औरतों को जिनकी की सबसे मूलभूत सुविधाओं में आता है कई किलोमीटर दूर चल कर पानी भर के लाना पड़ता था ।उसी पानी के लिए आज उत्तराखंड वासी आंदोलन कर रहे हैं मुकदमे झेल रहे हैं।
क्षेत्रीय विधायक द्वारा आश्वासन ग्रामीणों को जरूर दिया गया की ग्रामीणों पर मुकदमें जो लगे हैं वह वापसी जल्द किए जाएंगे।
वही पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी जब उडियारी पहुंचे थे, तो उन्होंने भी ग्रामीणों पर लगे मुकदमों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
आश्वासन सिर्फ आश्वासन रहे ना ही मुकदमे वापसी हुए हैं ना ही ग्रामीणों को पानी मिल पाया हैं।
इस संदर्भ में एसडीएम बेरीनाग अनिल शुक्ला ने कहना है कि ग्रामीणों की जो मुख्य समस्या थी पानी की उसे खत्म करने के लिए ग्रामीणों को प्रशासन द्वारा आश्वस्त किया गया था, जिस पर काम हो रहा है बात रही मुकदमे की तो वह शासन ही वापस ले सकता है प्रशासन उसमें कुछ नहीं कर सकता
न सिर्फ आश्वासन रहे ना ही मुकदमे वापसी हुए हैं ना ही ग्रामीणों को पानी मिल पाया हैं।
इस संदर्भ में एसडीएम बेरीनाग अनिल शुक्ला ने कहना है कि ग्रामीणों की जो मुख्य समस्या थी पानी की उसे खत्म करने के लिए ग्रामीणों को प्रशासन द्वारा आश्वस्त किया गया था, जिस पर काम हो रहा है बात रही मुकदमे की तो वह शासन ही वापस ले सकता है प्रशासन उसमें कुछ नहीं कर सकता
वही उडियारी ग्राम प्रधान दीपा देवी से ने कहा कि *”एक तरफ तो सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करती है जिसके लिए बड़े-बड़े मंच तक सजाएं जाते हैं लेकिन महिला की दिनचर्या पानी से ही शुरू होती है और पहाड़ के हालात किसी से नहीं छुपे हैं, अगर पानी ही नहीं होगा तो महिला कैसे घर चलाएं,दीपा ने बताया कि गांव की महिलाएं लगभग 2 से 3 किलोमीटर दूर पहाड़ की चढ़ाई कर पानी लेकर आती है और यह समस्या आज नहीं बहुत पुरानी चली आ रही है, जिस पर हमारा पूरा दिन लग जाता है, समस्या लेकर ग्राम प्रधान के पास ही गांव के लोग आते हैं मैं सरकार को दो टूक कहना चाहती हूं अगर सरकार जल्द मुकदमें वापसी नहीं लेती है और पानी की सुचारू व्यवस्था नहीं होती है तो मैं गांव की सभी महिलाओं को साथ लेकर मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना देने के लिए मजबूर होंगी, मुझे प्रधान के पद से लगाव नहीं है, मुझे क्षेत्र की जनता ने निर्विरोध चुना यदि आज मैं उनके लिए कुछ नहीं कर पाई तो मेरा ग्राम प्रधान के पद पर रहना व्यर्थ हैं।
जिला पंचायत सदस्य पिंकी कार्की ने कहा कि “यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें लंबे समय से पानी के लिए आंदोलन करना पड़ रहा था लेकिन अब आंदोलन मुकदमे वापसी करने के लिए करना पड़ रहा है, लगातार क्षेत्र पंचायत ग्राम पंचायत जिला पंचायत की बैठकों में इस समस्या को लेकर सभी जनप्रतिनिधियों ने हमेशा चर्चा की है।
सरकार को हम जनप्रतिनिधियों को सहयोग करना चाहिए क्योंकि कहीं से कहीं तक ग्रामीणों की मांग गलत नहीं हैं, जल्द से जल्द महिलाओं पर लगी मुकदमे वापसी हो और पानी हर घर पहुंचे अन्यथा हम पंचायत सदस्य सामूहिक रूप से इस्तीफा देंगे।
यह बड़ी चिंताजनक स्थिति है कि देवभूमि उत्तराखंड से ही भारत को जोड़ने वाली सांस्कृतिक महारेखा मां गंगा निकलती है, जो पूरे भारत को अपने जल से जीवंत रखती हैं, वही देवभूमि उत्तराखंड में पानी के लिए आंदोलन करना पड़ता है और उस पर ही मुकदमे कर दिए जाते हैं हमें उम्मीद है राज्य सरकार इसे गंभीरता से लें और जल्द से जल्द ग्रामीणों की मांग मानी जायें।