उत्तराखंड में अधिकारी हेराफेरी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसी कड़ी में एक कारनामा वन विभाग और कृषि विभाग में उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों ने राज्य की प्रतिबंधित जड़ी किल्मोड़ा का अवैध दोहन कराकर करोड़ों का खेला करने का सामने आ आ रहा है। मामले का खुलासा होने पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस पर जांच बैठा दी है, लेकिन यह मामला कृषि विभाग सहित अन्य कई विभागों से भी जुड़ा होने के कारण यह कह पाना कठिन है कि जांच कहां तक पहुंचेगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रतिबन्धित और बेश कीमती जड़ी किल्मोड़ा के 25-30 हजार टन अवैध दोहन का मामला सामने आया है। राज्य में कई क्षेत्रों में पाई जाने वाली इस बेश कीमती जड़ी किल्मोड़ा से आंखों की दवा से लेकर डायबिटीज जैसी अनेक गंभीर बीमारियों की दवाये बनाई जाती है। यह जड़ी किसानों के खेतों से लेकर जंगल तक पैदा होती हैं इसके उत्पादन की निगरानी का जिम्मा कई विभागों पर होता है। पता चला है कि जिन किसानों के खेतों में जड़ी उत्पन्न होने का रवन्ना वन व कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा काट कर हेरा फेरी की गई उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं है। खैर 25 से 30 हजार टन किल्मोड़ा के अवैध पातन के जरिए विभागीय अधिकारियों ने करोड़ों रुपए अंदर कर लिए। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और कहा है कि दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा।अब देखना यह है कि क्या कृषि मंत्री गणेश जोशी भी इस पर कोई एक्शन लेंगे या नहीं। इसकी जांच कहां तक पहुंच पाती है यह आने वाला समय ही बताएगा लेकिन किल्मोड़ा में करोड़ों का खेला होने के इस मामले के उजागर होने से सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति जरूर सवालों के घेरे में आ गई है।