चमोली की घटना की मजिस्ट्रियल जांच पूरी होने के बाद वहां काम कर रही तीनों कम्पनियों को दोषी पाते हुए उनको ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है तथा उनकी जमानत राशि 110.75 लाख भी जब्त की जायेगी। विद्युत विभाग और जल संस्थान को आपसी सामंजस न रहने पर उनके कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
बताते चलें कि 19 जुलाई को चमोली के नमामि गंगे के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में करंट लगने से हुए हादसे में वहां काम कर रहे 16 श्रमिकों की दुखद मौत हो गयी थी, साथ ही 12 अन्य गम्भीर रूप से घायल हो गये थे। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस भयावह घटना कि तुरंत मजिस्ट्रिीयल जांच के आदेश दे दिए थे। मुख्यमंत्री का आदेश मिलते ही जिलाधिकारी चमोली ने अपर जिला मजिस्ट्रेट डा. अभिषेक त्रिपाठी को मामले की जांच सौंप दी थी।जांच में यह बात सामने आयी कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट में काम कर रही वेंचर फर्म पटीयाला, कान्फिडेंस इंजीनिरिंग प्राइवेट लिमिटेड और भास्कर महाजन की एक्सेस पावर कंट्रोल्स के द्वारा अपने कार्य को सही ढंग से नहीं किया गया तथा कार्य में लापरवाही बरती गई जिसके चलते यह भयावह हादसा हुआ। इसी लापरवाही के चलते उनके अनुबन्ध को निरस्त कर उनको ब्लैक लिस्ट किये जाने की संस्तुति की गयी है। इन तीनों कंपनियों को राज्य में ब्लैक लिस्ट किये जाने के साथ ही पूरे भारतवर्ष में भी ब्लैक लिस्ट किये जाने की संस्तुति की गयी है। इसके साथ ही अनुबंध के अधीन समर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से ऑपरेशन और मेंटेनेंस पर आने वाले खर्च,
इसके साथ ही अनुबंध की शेष अवधि में मरम्मत इत्यादि पर होने वाले कुल व्यय को उक्त ज्वांइट वेंचर फर्म से भू राजस्व की भांति वसूल किये जाने की संस्तुति की गयी है। इसके अलावा ज्वांइट वेंचर फर्म द्वारा उत्तराखण्ड पेयजल निगम को दी गयी जमानत के रूप में बैंक गारंटी के 110.75 लाख रुपए को भी तत्काल प्रभाव से जब्त करने की संस्तुति दी
गयी है।
वहां कार्य कर रहे विद्युत विभाग एवं जल संस्थान के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच आपसी तालमेल ना होने के कारण हुई यह भीषण दुर्घटना के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के विरूद्ध भी विधि अनुकूल कार्यवाही करने की भी संस्तुति की गयी है।