इस समय उत्तराखंड में भर्तियों में घोटालों का दौर चल रहा है तथा युवाओं के भविष्य साथ खिलवाड़ हो रहा है। ताजा मामले का खुलासा सूचना के अधिकार में मांगी गई जानकारी से हुआ है। जिसने सरकार एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है। भर्ती घोटाले की आग अभी शांत भी नहीं हुई थी कि एक और मामला तूल पकड़ गया है।
दरअसल आरटीआई कार्यकर्ता हल्द्वानी निवासी विक्की खान ने एक पत्रकार वार्ता कर इस मामले को उजागर करते हुए बताया कि प्रदेश में चल रही कौशल विकास प्रशिक्षण योजना के नाम पर किस प्रकार धांधली बरती गई और अकेले कोरोना काल में प्रदेश के 55 हजार छात्रों को प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग करा उन्हें नौकरी तक आवंटित कर दी जबकि असल में यह एक पूरा स्कैम है। जिन छात्रों के आधारकार्ड लगाए गए हैं वह पूरी तरह फर्जी हैं, जब इन कागजातों की पड़ताल की गई तो ये फर्जी पाए गए जिनमें एक आधार कार्ड में अंकित संख्या दूसरे के नाम पर भी अंकित है। इस पूरे फर्जीवाड़े के खेल में 700 करोड़ का चूना लगा दिया गया है जिसमें 200 करोड़ बच्चों के प्रशिक्षण के लिए बजट आया था और 400 करोड़ आईटीआई केंद्रों के लिए रखा गया थाा जबकि बाकी अन्य बजट था। इस पूरे मामले के सामने आने के बाद प्रदेश में युवाओं के साथ हो रहे छलावे की काली करतूत सामने आ गई है। आपको बता दें कि इस पूरे मामले में ऐसे लोगों तक को प्रशिक्षण में शामिल कर दिया गया जो अब इस दुनिया में नहीं हैं या फिर किसी सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं। बहरहाल यह मामल अब तूल पकड़ने वाला है और जल्द ही आरटीआई एक्टीविस्ट इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में रिट दायर करने वाले हैं।