हरिद्वार को छोड़कर जिला पंचायत अध्यक्षों का कार्यकाल बीते 1 दिसंबर को समाप्त हो गया था, लेकिन शासन ने 2 दिसंबर को प्रदेश के 12 जिला पंचायत अध्यक्षों को 6 माह के लिए प्रशासक नियुक्त कर दिया था।
जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक बनाए जाने के बाद अब ग्राम प्रधानों और ब्लॉक प्रमुखों ने भी खुद को प्रशासक बनाए जाने की मांग कर दी है, इसके लिए आंदोलन का भी ऐलान कर दिया गया है।
13 में से अधिकांश जिलों में भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष हैं ऐसे में समीकरण अपने पक्ष में देखकर भारतीय जनता पार्टी ने हरिद्वार जनपद को छोड़कर शेष जिला पंचायत में अध्यक्षों को ही प्रशासक की कमान दे दी, लेकिन अब ग्राम प्रधानों और क्षेत्र पंचायत प्रमुखों ने भी खुद को प्रशासक बनने की मांग की है। अब इस मांग से जरूर सरकार की पेशानी पर बल पड़ गए हैं।
बुधवार को प्रदेश प्रधान संगठनों और ब्लॉक प्रमुख संगठनों के तमाम प्रतिनिधियों ने पंचायती राज सचिव चंद्रेश कुमार से मुलाकात की। चंद्रेश कुमार ने भी आनन फानन में ग्राम प्रधानों और ब्लॉक प्रमुखों को प्रशासक बनाए जाने के प्रावधान के अध्ययन करने के लिए तीन सदस्यों की समिति बना दी है।
इसमें युगल किशोर पेंट अपर सचिव पंचायती राज को समिति का अध्यक्ष नामित किया गया है, तो वहीं पंचायती राज निदेशक निधि यादव और संयुक्त निदेशक श्रीमती हिमानी जोशी पेटवाल को समिति में सदस्य नियुक्त किया गया है। इनको 9 दिसंबर तक सभी संभावनाओं को
टटोलकर सभी प्रावधानों का परीक्षण करके रिपोर्ट जमा करनी है। फिलहाल यह मामला 9 दिसंबर तक टल गया है।
प्रधान संगठनों और ब्लॉक प्रमुख संगठनों का कहना है कि यदि उन्हें प्रशासक नहीं बनाया जाता तो यह उनके साथ सीधा-सीधा भेदभाव होगा। इन तमाम संगठनों ने पंचायती राज संशोधन अधिनियम 2020 की धारा 130 की उप धारा 6 का हवाला देते हुए कहा है कि अप्रहरी परिस्थितियों में ऐसा किया जा सकता है।
देखने वाली बात या होगी कि आगामी 9 दिसंबर को इस संबंध में बनाई गई समिति क्या रिपोर्ट देती है, उसके बाद ही ग्राम प्रधानों और ब्लॉक प्रमुखों को प्रशासक बनाए जाने पर स्थिति साफ हो पाएगी!