उत्तराखंड फार्मा और ऑटो मोबाइल सेक्टर का हब बनने की ओर अग्रसर है। नए निवेश और पहले से स्थापित उद्योगों के विस्तारीकरण से फार्मा और ऑटोमोबाइल क्षेत्र नई ऊंचाईयों को छूएंगे, जिससे रोजगार के नये अवसर खुलेंगे। वैश्विक निवेशक सम्मेलन से फार्मा सेक्टर में 1500 से 2000 करोड़ रुपये का निवेश करने में कई कंपनियां ने दिलचस्पी दिखाई है। वर्तमान में देश के कुल दवा उत्पादन में उत्तराखंड 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है। प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र सेलाकुई, हरिद्वार, पंतनगर, रुद्रपुर में 249 औषधि निर्माण इकाइयां स्थापित हैं। इसके अलावा ऊधमसिंह नगर जिले में पंतनगर, रुद्रपुर में महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स, बजाज, हीरो मोटर्स, अशोका लीलैंड ने विनिर्माण इकाइयां स्थापित कर बड़ा निवेश किया है। राज्य की जीडीपी में ऑटो उद्योग का सात प्रतिशत योगदान है। निवेशक सम्मेलन में नए निवेश से उत्तराखंड ऑटो मोबाइल और फार्मा का हब बनेगा। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में राज्य सरकार फार्मा और ऑटो मोबाइल इंडस्ट्रीज को भी प्रोत्साहन दे रही है। नई औद्योगिक नीति के चलते मिले अनुकूल माहौल से राज्य में फार्मा और ऑटो सेक्टर में निवेश बढ़ा है। प्रदेश में वर्ष 2022 के दौरान फार्मा सेक्टर ने लगभग 15 हजार करोड़ रुपये का कारोबार किया था। इसमें सबसे बड़ी बात यह बात यह रही कि इसमें से 1150 1150 करोड़ रुपये की दवाएं निर्यात की गईं। फार्मा सेक्टर से राज्य में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर हजारों लोग जुड़े हैं। इस सेक्टर में निवेश और रोजगार की असीम संभावनाएं हैं।
सरकार के प्रयासों से निर्माता फर्मों के आवेदनों के निस्तारण के लिए केंद्रीय औषधि मानक संगठन का सब जोनल ऑफिस उत्तराखंड में स्थापित किया है। फार्मा कंपनियों के लिए ऑनलाइन लाइसेंस प्रक्रिया होने से आवेदन में उत्पन्न होने वाली जटिलताओं को भी समाप्त किया गया है, साथ ही उच्च गुणवत्ता की दृष्टि से सभी अनुमतियां केंद्र व राज्य सरकार के संयुक्त निरीक्षण बाद ही जारी की जाती है।
प्रमोद कलानी, अध्यक्ष, उत्तराखंड ड्रग्स मेन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन का कहना है कि उत्तराखंड फार्मा विनिर्माण हब के रूप में तेजी आगे बढ़ रहा है। निवेशक सम्मेलन से राज्य में 1500 से 2000 करोड़ रुपये के निवेश के लिए निवेशक उत्तराखंड फार्मा विनिर्माण हब के रूप में तेजी आगे बढ़ रहा है। इससे पहले से स्थापित उद्योगों को नई उम्मीद है। फार्मा कंपनियों को दवाइयां बनाने के लिए कच्चा माल बाहर से मंगाना पड़ता है, जिसमें ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ती है। यदि सरकार ट्रांसपोर्ट पर सब्सिडी की सुविधा दे तो उत्तराखंड पूरे देश में फार्मा क्षेत्र में पहले स्थान पर होगा।