ओल्ड सर्वे रोड़ से डीबीएस कालेज जाने वाली रोड जो ज्यादा चौड़ी भी नहीं है।उसी पर डीएवी कॉलेज के पिछले हिस्से में दीवार बनी हुई है, जिसके कुछ दिन पहले गिरने से एक लड़की की मौत हो गई थी। लेकिन अभी भी खतरा टला नहीं है। अब भी इस तंग सड़क के किनारे दीवार के रूप में 60 मीटर लंबा मौत खड़ी हुई है। इस दीवार का अधिकतर हिस्सा बरसों से सड़क की तरफ झुका हुआ है। पीछे खड़े विशाल पेड़ हर साल इस दीवार को मानो सड़क की ओर धकेल रहे हो। यदि समय रहते इसकी मरम्मत नहीं कराई गई या दिवार ढहाई नहीं गई। तो यह कभी भी बड़े हादसे को न्योता दे सकती है। सुष्मिता और रघुवीर की तरह हर रोज पढ़ने के लिए कोचिंग और अन्य शिक्षण संस्थानों में आने-जाने वाले छात्र इसकी चपेट में आ सकते हैं।
डीएवी कॉलेज की देहरादून के इतिहास में अपनी अलग पहचान है। वर्ष 1872 में यह डीएवी स्कूल हुआ करता था जिसको 1948 में पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज का दर्जा मिला। इसका विशालकाय भवन और दीवार आज भी उसी वक्त के बने हुए हैं।छोटे-मोटे मरम्मत के काम और कुछ कमरों के निर्माण को छोड़ दें तो यहां इसके बाद से कोई नया निर्माण नहीं हुआ है। डीबीएस रोड पर बृहस्पतिवार को जो दीवार गिरी वह भी एक सदी से ज्यादा पुरानी थी। इस दीवार के साथ-साथ कई बड़े पेड़ भी बरसों बरस इन पेड़ों की जड़ दीवार की बुनियाद में जगह बना चुकी है जिसके कारण अब यह दीवार जर्जर और कमजोर हो चुकी है।
इस मार्ग बमुश्किल 18 मीटर चौड़ा है और रोज हजारों छात्र-छात्राएं इसी रास्ते से पढ़ने आते हैं। इस व्यस्ततम रोड पर दिन में हजारों वाहन आवाजाही करते हैं। इसी सड़क किनारे 80 मीटर लंबी यह दीवार है,जिसका तकरीबन 20 मीटर का हिस्सा ढह गया, जिसके नीचे दबने से एक युवती सुष्मिता की मौत हो गई है। डीएवी कॉलेज प्रबंधन अपने ऊपर से टालकर इस बात को वन विभाग के पाले में डाल रहा है।बताया जा रहा है कि इस दीवार के किनारे खड़े पेड़ों को कटवाने के लिए वन विभाग से की बार कॉलेज प्रबंधन ने मिन्नतें की थीं। लेकिन, किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। प्रबंधन और वन विभाग के बीच जो भी कुछ हुआ हो लेकिन, उनकी इस लापरवाही के चलते अपने कॅरियर की शुरूआत करने जा सुष्मिता की जान पर भारी पड़ गई। अब भी प्रबंधन यहां से मलबा हटाने में लगा है, लेकिन अगले 60 मीटर के हिस्से को लेकर कोई जवाब किसी के पास नहीं है।