सरकार द्वारा कुछ दिन पहले के आदेश जोकि उत्तराखंड में चार धाम यात्रा और मानसून सीजन को देखते हुए दिए गए थे कि राज्य में 6 महीने तक किसी भी प्रकार की हड़ताल पर पाबंदी रहेगी। जिसको लेकर उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने अपना कड़ा विरोध जताया है कहा कि हड़ताल पर रोक लगाने से साफ हो गया है कि शासन पूर्व में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिए निर्णय जारी नहीं करना चाहता है। यह निर्णय कर्मियों को दबाव में लेने और डराने का है परंतु कार्मिक डरने वाले नहीं है।
समिति के सचिव,संयोजक पूर्णानंद नौटियाल व शक्ति प्रसाद भट्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से लिए गए निर्णय के अनुरूप शासन पदोन्नति में शिथिलीकरण की व्यवस्था, गोल्डन कार्ड में राज्य कर्मियों के लिए ओपीडी में दवाओं और पैथोलॉजी टेस्ट की निशुल्क व्यवस्था 10,16 और 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति ना होने पर पदोन्नति वेतनमान प्रदान करने की व्यवस्था का शासनादेश जारी नहीं करता, तो भी कार्मिक प्रतिबंध लगाने के बावजूद भी हड़ताल पर जाएंगे। उन्होंने कहा कि समन्वय समिति लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत आंदोलन करती है। सरकार का यह फैसला लोकतंत्र के विरुद्ध है, जो किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
समन्वय समिति का कहना है कि सरकार तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने वाले आदेश को वापस ले। सरकार वैसे भी जिस मानसून सत्र का हवाला देकर हड़ताल पर रोक लगा रही है। वह आवश्यक सेवाओं में शामिल है और प्रदेश के कार्मिक हमेशा सरकार और जनमानस के साथ खड़े होकर दिन-रात काम करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह कार्मिकों के साथ हुए निर्णय के अनुरूप जायज मांगो पर तत्काल आदेश जारी करें।