एक मीडिया संस्थान को दिए बयान में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने स्टिंग प्रकरण पर बड़ा खुलासा किया है
जानिए क्या कहा हरीश रावत ने
- 2016 में किस तरीके से दल-बदल की प्लॉटिंग हुई, षड्यंत्र रचा गया, कैसे उसको एग्जीक्यूट किया गया, कैसे मेरे स्टिंग को एग्जीक्यूट किया गया? कौन लोग उस सबके पीछे थे और उसका क्या प्रभाव हमारी कांग्रेस की राजनीति में पड़ा तथा उसका क्या प्रभाव राज्य के विकास पर पड़ा? यह एक ऐसा अध्याय है जिस पर मुझको कुछ न कुछ कहना चाहिये।
- कम से कम समय और सत्यता, दोनों मुझे यह अपेक्षा करती हैं कि मैं अपनी जानकारी के तथ्यों को लोगों के सामने रखूं। एक बहुत वरिष्ठ पत्रकार ने मुझसे अपने एक लोकल टीवी कार्यक्रम में बातचीत की और उस दौरान उन्होंने मुझसे पूछा, और बड़ा सरल सा व बहुत सही सवाल पूछा कि आप श्री उमेश के विषय में सब कुछ जानते थे और आप उसके बाद भी उसके चंगुल में कैसे आ गए! तो मैंने उनका दोनों तथ्य बताए।
- पहला तथ्य यह बताया कि मुझे श्री उमेश की सारी कलाओं के विषय में जानकारी नहीं थी और उन्होंने किस तरीके से भाजपा में खेल दिखाया है और कौन उनके खेल के पीछे पहले खड़ा था, आज खड़ा है, अब तो थोड़ा समझने लग गया हूं। लेकिन उस समय मुझे यह सब बातें ज्ञात नहीं थी। मैंने उनसे कहा कि मुझे कहीं पर भी दल-बदल करके दूसरी तरफ गए हुए विधायकों की वापसी की आवश्यकता ही नहीं थी, क्योंकि हम उनके निष्कासन की प्रक्रिया को प्रारंभ करवा चुके थे और हमें पूरा भरोसा था कि कानून हमारे साथ है और यह सब अयोग्य घोषित होंगे, जो हुए भी बल्कि माननीय हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें शायद महापापी तक कहा।
- मगर एक वातावरण दिल्ली में बनाया गया, जिस वातावरण में हमारे कुछ वरिष्ठ नेतागणों को यह बात समझ में आई कि मैं क्यों वापस नहीं लेना चाहता, जब कुछ लोग वापस आना चाहते हैं। खैर मैं उन वरिष्ठ नेताओं के नाम जिनका मुझे टेलीफोन आया, मैं वह नाम नहीं बताऊंगा। लेकिन अपने एक सहयोगी का नाम जरुर बताऊंगा, श्री हरिपाल रावत जी मेरे सलाहकार थे उन्होंने मुझसे बार-बार दबाव डाला कि आप उनसे बात करें। आप एक बार कहेंगे तो श्री हरक सिंह रावत जी वापस आ जाएंगे।