रूद्रप्रयाग। लंबे समय से अपने मानदेय बढ़ाने, स्थायी नियुक्ति समेत अन्य मांगों को लेकर आंदोलनरत अतिथि शिक्षकों को सरकार की अनदेखी का परिणाम भुगतना पड़ रहा है।
लेकिन सच्चाई यह कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रखने में अतिथि शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
उदाहरण स्वरूप 22 मई से जनपद के राजकीय शिक्षकों की ब्लॉक एवम जिला कार्यकारिणी का गठन होना है, जिसके चलते वह 3 दिन के अवकाश पर हैं। ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग को अतिथि शिक्षकों को शिक्षा व्यवस्था सुचारू रखने की जिम्मेदारी दी गई है। आलम यह है कि कहीं-कहीं तो छात्र संख्या बहुत ज्यादा होने के कारण विद्यालयों की स्थिति संभालना मुश्किल हो रहा है, लेकिन कम मानदेय में कार्यरत अतिथि शिक्षक विद्यालयों की व्यवस्था संभाले हुए हैं।
अब जनपद के हजारों विद्यार्थी अतिथि शिक्षकों के भरोसे ही पढ़ाई कर सकेंगे। फिर भी इन्हें जून माह के मानदेय के लिये सरकार और अधिकारियों से गुहार लगानी पड़ रही है जिसका समाधान आज तक नहीं हो पाया।
ऐसे में सरकार को चाहिए कि विगत 10 वर्षों से राज्य के दुर्गम और अति दुर्गम विद्यालयों में अपनी निरन्तर सेवाएं दे रहे अतिथि शिक्षकों की मांगों को जल्द पूर्ण करें, उन्हें भी राज्य में सेवा नियमावली के आधार पर नियमित किया जाना चाहिये।
रूद्रप्रयाग अतिथि शिक्षक संगठन के जिला अध्यक्ष डॉ॰ प्रवीन जोशी ने कहा है कि वे विद्यालय में अपने मूल विषय के अध्यापन कार्य के अलावा की समस्त गतिविधियों, कक्षा अध्यापकों का कार्यभार एवं अन्य प्रभार के साथ पूर्ण मन योग से कार्य कर रहे हैं फिर भी सरकार उनके प्रति उदासीन है। जून के मानदेय हेतु अधिकारियों का स्पष्ट रवैया नहीं है। इस स्थिति में अतिथि शिक्षक अपनी भविष्य के प्रति मानसिक रूप से परेशान है।
पूर्व में शिक्षा मंत्री ने दिया आश्वासन
पिछले वर्ष अतिथि शिक्षकों ने शिक्षा निदेशालय देहरादून में हजारों की संख्या में प्रदर्शन किया। जिसके बाद शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अतिथि शिक्षकों के शिष्ट मंडल से मुलाकात कर उन्हें उनकी मांगों को लेकर अगली कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव रखने का आश्वासन दिया था। इस आश्वासन पर अतिथि शिक्षकों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था,
लेकिन कई कैबिनेट बैठक गुजर जाने के बाद भी अतिथि शिक्षकों की कोई सुध नहीं ली गई है।