सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने दावा किया है कि केंद्र सरकार पांच राज्यों के चुनाव टालने की कोशिश में जुटी हुई है इसीलिए
एक देश-एक चुनाव की चर्चा में उलझा रही है।
बताते चलें कि केंद्र सरकार द्वारा
‘एक देश एक चुनाव’ के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित भी कर दी गई है। इसके बाद से ही देशभर में चर्चा हो रही है कि क्या अब देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होंगे। इन्हीं चर्चाओं के बीच आज सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार
‘एक देश – एक चुनाव’ को लेकर प्रचार इसलिए कर रही है,क्योंकि वह आने वाले पांच राज्यों मध्य प्रदेश, मिजोरम,तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव को टालना चाहती है। प्रशांत भूषण ने कहा कि ‘एक देश-एक चुनाव’ को संसदीय लोकतंत्र में लागू नहीं किया जा सकता है क्योंकि कोई भी सरकार बहुमत खो देने के बाद बीच में ही गिर जाती है और उसके बाद नई सरकार का चुनाव के माध्यम से गठन होता है प्रशांत भूषण ने कहा कि इसका मतलब होगा कि हम देश को लोकतांत्रिक प्रणाली से राष्ट्रपति के शासन वाली प्रणाली की तरफ ले जा रहे हैं। इसीलिए यह संसदीय लोकतंत्र का पूरी तरह उल्लंघन होगा।
प्रशांत भूषण ने आगे कहा कि इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपनी बड़ी हार से डर रही है इसलिए वह
‘एक देश-एक चुनाव’ के नाम पर विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव तक डालना चाहती है | ताकि तब तक इन राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए।