एसआईटी प्रभारी एसपी सर्वेश पंवार के अनुसार फर्जी रजिस्ट्री बनाकर चाय बागान की करीब बारह एकड़ जमीन बेच दी गई थी।इस मामले में एसआईटी ने 12 अगस्त को संतोष अग्रवाल निवासी चाल गोवा, बोगीबील ,डिब्रूगढ़ असम वर्तमान निवासी ग्राम आमपुरी, थाना बिजनी जिला चिरांज असम दीप चंद्र अग्रवाल निवासी छापरी जिला डिब्रूगढ़ असम, और पीआरडी कर्मचारी डालचंद निवासी रेस कोर्स को गिरफ्तार किया था। इसी कड़ी में स्पेशल टास्क फोर्स ने दो और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों में से एक सब रजिस्ट्रार कार्यालय में बाइंडिंग का कार्य करने वाला और दूसरा एक अधिवक्ता है।एसआईटी अब सहारनपुर में रहने वाले भू माफिया कुंवर पाल उर्फ केपी की तलाश में लग गई है। इस प्रकरण में SIT अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
पुलिस की पूछताछ के दौरान सामना है कि आरोपी अधिवक्ता इमरान और अर्पित चावला की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्रियां तैयार की गई थी। जिसका खुलासा खुद अर्पित ने पुलिस को किया जिसको फिलहाल पुलिस ने छोड़ दिया है। इस मामले में फरार चल रहे आरोपी इमरान को पुलिस ने वृस्पतिवार को नेहरु कॉलोनी क्षेत्र से गिरफ्तार किया है तथा सब रजिस्ट्रार कार्यालय में वाइंडिंग का काम करने वाले अजय को कचहरी के बाहर से गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ के दौरान इमरान ले कबूल किया कि वह लंबे समय से सहारनपुर निवासी कुंवर पाल उर्फ केपी के संपर्क में था।
कुंवर पाल ने इमरान को पैसों का लालच देकर रिकार्ड रुम से पुरानी जींल्द फाइलों से दस्तावेज निकलवाए जिनसे केपी ने फर्जी दस्तावेज तैयार करके इमरान को देता था और इमरान उनको जिल्द में रखवा देता था। इस सब काम में रजिस्ट्रार कार्यालय में काम करने वाला अजय भी इनका साथ देता था। इसके बाद केपी जमीन पर कब्जा कर के फर्जी रजिस्ट्री तैयार करने के बाद जमीन बेच देता था।
जानें क्या है मामला
चाय बागान और सीलिंग की जमीन को बचाने की लड़ाई लड़ रहे अधिवक्ता विकेश नेगी ने चाय बागान की हजारों एक भूमि को खुर्द-बुर्द करने आवाज उठाते हुए शिकायत की थी।
सब रजिस्ट्रार कार्यालय में विभिन्न भूमि विक्रय विलेख से संबंधित जिल्द संख्या 2719/2720 वर्ष 1972,विलेख संख्या 3192,545 वर्ष 1969, विलेख संख्या 10802 और 10803 से छेड़छाड़ के संबंध में सहायक महानिरीक्षक निबंधन, संदीप श्रीवास्तव ने तहरीर दी थी। जिसके चलते प्रकरण की जांच के लिए IPS सर्वेश कुमार के नेतृत्व में गठित SIT और SOG की टीम ने रिकॉर्ड लेते हुए रिंग रोड से संबंधित 50 से अधिक रजिस्ट्रीयों का अध्ययन किया था।