उत्तराखंड की चार धाम यात्रा को शुरू हुए अभी एक सप्ताह ही हुआ है और एक दर्जन से ज्यादा तीर्थ यात्री अपनी जान गवां चुके हैं, बद्रीनाथ हो या केदारनाथ गंगोत्री हो या यमुनोत्री यात्रा रूट में सभी तरफ लंबे लंबे जाम लगे हैं और यात्री परेशान हैं और सरकार बजाय अव्यवस्था को दुरुस्त करने के पत्रकारों पर रिपोर्टिंग करने के जुर्म में मुकदमे कायम किए जा रहे हैं। जो लोकतंत्र में आवाज दबाने की कोशिश है जिसकी कांग्रेस कड़े शब्दों में निंदा करती है।
जिला कांग्रेस कमेटी टिहरी गढ़वाल के अध्यक्ष राकेश राणा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी फरवरी महीने से ही राज्य सरकार से चार धाम यात्रा की व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करने की मांग कर रही थी। उन्होंने कहा कि पार्टी ने इस मुद्दे पर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी को सुझाव पत्र सौंप कर यात्रा मार्ग पर होने वाली दिक्कतों के बारे में अवगत करा दिया था
अभी यात्रा शुरू हुए एक सप्ताह ही हुआ है और एक दर्जन यात्रियों की मौत चिंता पैदा करने वाली है। यात्रा रूटों पर लंबे लंबे जाम लग रहे हैं और अनेक जगहों पर यात्रियों को भोजन पीने के पानी व ठहरने की मुश्किल पेश आ रही हैं। कहा कि अभी यात्रा का पीक जून तक आएगा जिसमें यात्रियों की संख्या में कई गुना इजाफा हो सकता है ऐसे में अगर व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हुईं तो कोई अनहोनी हो सकती है इसलिए सरकार को युद्ध स्तर पर यात्रा की व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करना चाहिए। काग्रेस यात्रा के बारे में किसी प्रकार की नकारात्मक बात नहीं करना चाहती क्यूंकि यात्रा हमारे राज्य की आर्थिकी का बड़ा स्रोत है और इससे देश और दुनिया के करोड़ों सनातनियों की आस्था और विश्वास से जुड़ा है, लेकिन यात्रा में अव्यवस्थाओं से भी उन लोगों की भावना को ठेस पहुंचती है जो यहां अध्यात्म और भक्ति भाव से श्रद्धापूर्वक यात्रा के लिए आते हैं किंतु अव्यवस्थाओं का शिकार होकर दुखी होते हैं।
यात्रियों ने विभिन्न पुलिस थानों, चौकियों में अपने फोन पैसे और अन्य उपयोगी सामान की गुम होने की भी खबरें लिखी है यह भी एक बड़ी चिंता का विषय है कि देवभूमि उत्तराखंड के तीर्थस्थानों पर अंतर्राष्ट्रीय टप्पेबाज गैंग इस तरह सक्रिय हो रखे हैं इस पर भी पुलिस को सख्त निगरानी रखनी चाहिए।
राज्य सरकार के नुमाइंदों को पत्रकारों को धमकाने और उनके विरुद्ध झूठे मामले दर्ज कराने के बजाय यात्रियों के पंजीकरण, स्वास्थ्य परीक्षण व भोजन पानी और ठहरने की व्यवस्था तथा यातायात को सुचारू रखने के लिए फौरी कदम उठाने चाहिए।
क्योंकि चार धाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों की 10 दिन की यात्रा की व
जगह अगर उसके 15 दिन लग जाते हैं तो उसकी आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाती और वह मानसिक तौर पर परेशान हो जाता है ।