वाराणसी : लंका से काशी विश्वनाथ मंदिर तक प्रधानमंत्री के 5 किलोमीटर के लम्बे रोड शो में बनाए गए 11 स्वागत प्वाइंट के अलावा एक ऐसा भी प्वाइंट था जहां बच्चों ने प्रधानमंत्री से जीवनदान की गुहार लगाई। सभी बच्चे डचेन मस्कुलर डिस्ट्राफी (डी.एमडी) जैसे लाइलाज बिमारी से पीड़ित है।
भारी भीड़, ढोल नगाड़े उत्साह, जोश, नारों के बीच पता नहीं इन नन्हें पीड़ितों की पुकार प्रधानमंत्री तक पहुंची भी की नहीं। बनारस ही नहीं दूसरे जिलों और प्रदेश से भी डी. एमडी से पीड़ित बच्चों को उनके परीजन प्रधानमंत्री मोदी से मदद की आस लिए रोड शो में ले आए थे।
भदैनी स्थित स्व. सम्पूर्णानंद तिवारी का चबूतरा चंद घंटों के लिए इन बच्चों का आशियाना बना था। सभी बच्चे व्हील चेयर पर थे। क्यों कि इस रोग से पीड़ित बच्चों में चलने फिरने की क्षमता नहीं रह जाती। बनारस के रहने वाले 17 साल के राजबीर श्रीवास्तव इसी रोग से पीड़ित है। पिता राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि इलाज महंगा है जो हमारे बस का नहीं। 5 साल की उम्र में इस रोग का शिकार हुए। बिस्तर पर लेटे राजबीर अपना हाथ-पैर तक हिला नहीं सकते। राजबीर को लेकर माता-पिता ने लखनऊ पीजीआई और दिल्ली एम्स तक को नापा लेकिन डॉक्टर का कहना है यहां इस रोग का इलाज नहीं है। इसकी दवा अमेरिका ने इजाद कर ली है।
पिता राजेश का कहना है कि दवा ढाई करोड़ की है। जो अमेरिकी संस्थान (यूएस एफडीए) से अप्रूव्ड है। हम अगर खुद को बेच भी दें तो इतना पैसा नहीं ला सकते। दूसरी तरफ इस रोग से पीड़ित बच्चे 20 साल तक ही जीवित रहते हैं। राजबीर की उम्र फिलहाल 17 है और मेरे पास बस तीन साल का समय है। ऐसे में हम सारे लोग इस उम्मीद से यहां आए हैं की मोदी जी एक निगाह इन बच्चों को देख ले और हमारी मदद कर दे।