देहरादून। बीते वर्ष केदार धाम में मंदिर के गर्भ ग्रह की दीवार पर लगी सोने की परत का पीतल में बदल जाने के मामले में काफी बवाल हुआ था। इसी मुद्दे को लेकर पत्रकार गजेंद्र रावत ने सोशल मीडिया पर अपने विचार रखे थे।
उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार गजेंद्र सिंह रावत के विरुद्ध देहरादून के थाना डालनवाला में सोशल मीडिया मे गजेंद्र सिंह रावत द्वारा की गई पोस्ट को लेकर भाजपा द्वारा उनके विरुद्ध धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मुकद्दमा कायम करने को लेकर तहरीर दी है। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भाजपा सरकार और भाजपा पर निशाना साधते हुए इसे प्रेस का गला घोटने के प्रयास व सत्ता का अहंकार करार देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से हस्तक्षेप कर मुकद्दमा वापस लेने की मांग की है। अपने कैंप कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि केदारनाथ मंदिर में सोना चोरी होने का मामला जगजाहिर है
और प्रचार मंदिर समिति द्वारा स्वयं किया गया था। फिर कुछ दिनों बाद जब सोने का पीतल में बदल जाना व फिर उस पर चुपचाप पॉलिश करवाना यह सब लोग जानते हैं, किंतु इस मामले में किसी भी प्रकार की उच्च स्तरीय जांच राज्य सरकार द्वारा नहीं करवाई और मंदिर समिति अध्यक्ष की भूमिका संदिग्ध रही है। ऐसे में अगर कोई इस मुद्दे पर सरकार और मंदिर समिति को कटघड़े में खड़ा कर दे तो क्या सरकार और भाजपा उसके विरुद्ध धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मुकद्दमा कायम करवा देंगे।
धस्माना ने कहा की मंदिर समिति के छह सदस्यों ने स्वयं मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी को मंदिर की अववस्थाओं के बारे में ज्ञापन दिया था और अध्यक्ष को पद से हटाने को मांग की था । धस्माना ने कहा कि अगर गजेंद्र सिंह रावत का किसी भी प्रकार से उत्पीड़न करने का प्रयास किया तो कांग्रेस इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।
वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार में अभिव्यक्ति की आजादी पर भी लगाया जा रहा है पहरा। पत्रकारों, विपक्षी दलों के नेताओं और आमजन को स्वतंत्र तौर पर अब लिखने-बोलने की भी आजादी नहीं रह गई।
माहरा ने कहा कि भाजपा सरकार में स्वतंत्र भारत के नागरिकों को देश के संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी को भी छीनने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकारों में पत्रकारों, विपक्षी दलों के नेताओं और आमजन को स्वतंत्र तौर पर अब लिखने-बोलने की भी आजादी नहीं रह गई है। हमें संविधान ने अभिव्यक्ति का जो अधिकार दिया है भाजपा सरकारों द्वारा उस पर भी पहरा लगाया जा रहा है तथा आम जनता की बोलने की आजादी छीनने का भी प्रयास किया जा रहा है।