क्या आपने भांग (एक तरह काय नशीला पौधा) के रेशे से बने घर के बारे में सुना है? चौंकिए मत! उत्तराखंड में एक आर्किटेक्ट दंपति ने यह कारनामा कर दिखाया है। आर्किटेक्ट नम्रता कंडवाल और गौरव दीक्षित ने पौड़ी गढ़वाल जिले में दो साल की कड़ी मेहनत के बाद, इस इको-फ्रेंडली होम स्टे को तैयार किया है। यह अनोखा घर ऋषिकेश से 35 किलोमीटर दूर है।
नम्रता और गौरव ने पौड़ी गढ़वाल जिले के फलदाकोट मल्ला गांव में यह होम स्टे तैयार किया है। इस छोटे से गांव में शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर लोग समय बिताने आते हैं। पहाड़ों पर बसे इस गांव में पहुंचने के लिए मुसफ़िरों को 40 मिनट की ट्रैकिंग करनी पड़ती है।
गौरव और नम्रता ने यह अनोखा होमस्टे मुख्य रूप से हेम्प-आधारित वस्तुओं की मदद से तैयार किया है। इस ‘हिमालयन हेम्प इको स्टे’ में, हेम्प (भांग) के पौधे के इस्तेमाल से न केवल फर्श और दीवार बनाई गई है, बल्कि इसकी छत और अंदर की कई वस्तुओं को बनाने में भी इसका उपयोग हुआ है।
नम्रता कहती हैं, “हम पारंपरिक सीमेंट से घर बना रहे थे। लेकिन हम दोनों जानते थे कि यह पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। हम कुछ हटकर काम करना चाहते थे। आमतौर पर क्लाइंट के प्रोजेक्ट्स में हम नया प्रयोग नहीं कर सकते, इसलिए साल 2020 में हमें खुद की जमीन पर एक इको-फ्रेंडली घर बनाने का विचार आया।”
नम्रता और गौरव, घर बनाने के लिए मिट्टी और बैम्बू के अलावा, दूसरे विकल्प की तलाश में थे, तभी उन्हें हेम्पक्रीट के बारे में पता चला। दरअसल, हेम्प (भांग) के पौधे से हेम्प फाइबर तैयार होता है और इससे ‘हेम्प बायो एग्रीगेट लाइम कंक्रीट’ तैयार किया जाता है। जिसे सामान्य भाषा में हेम्पक्रीट के नाम से जाना जाता है। इसके ब्लॉक भांग के पौधे की शाखा के छिल्कों, चूना और फ्लाई ऐश के मिश्रण से बने होते हैं। अपनी प्राकृतिक संरचना के साथ हेम्पक्रीट भूकंप, बाढ़ और जंगल की आग जैसी प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने में भी सक्षम है।
साल 2018 से कर रहे थे रिसर्च
नम्रता ने बताया कि वे दोनों साल 2018 से हेम्पक्रीट के बारे में रिसर्च कर रहे थे। उन्होंने इसी उदेश्य से Gohemp Agroventures नाम से एक स्टार्टअप की शुरुआत भी की थी। नम्रता ने अपने पिता की पुश्तैनी जमीन पर यह घर बनाया है। इस दंपति ने अपनी कमाई के तक़रीबन 30 लाख रुपये खर्च करके, इस प्रोजेक्ट को पूरा किया है।
कुल 800 वर्ग फुट जगह में इस ‘हिमालयन हेम्प-इको स्टे को बनाया गया है। घर में बिजली के लिए एक 3-किलोवाट रूफटॉप सोलर पैनल लगा है। वहीं, पानी के लिए 4,000 लीटर का टैंक बनाया गया है, जिसमें बारिश का पानी जमा होता है और एक हैंड पंप का उपयोग करके पानी निकाला जाता है। साथ ही यहां उपयोग हुए पानी को पौधे उगाने के लिए दुबारा इस्तेमाल किया जाता है।
उन्होंने जनवरी 2020 में होमस्टे बनाने का काम शुरू किया था, जिसे बनाने में तक़रीबन डेढ़ साल का समय लगा। 24 नवंबर 2021 को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस होमस्टे का उद्घाटन किया था। नम्रता बताती हैं, “इस होमस्टे में एक बार में चार मेहमान आराम से रह सकते हैं। एक दिन यहां रुकने के लिए उन्हें 2400 रुपये देने पड़ते हैं।”