देहरादून। प्रदेश भर के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य के खाली पदों को भरने के लिए शासन ने 50% पदों पर विभागीय सीधी भर्ती करने का निर्णय लिया था। इसके लिए उत्तराखंड राज्य शैक्षिक राजपत्रित सेवा नियमावली में संशोधन के बाद 22 फरवरी 2024 को उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को भर्ती परीक्षा का प्रस्ताव भेजा था। सेवा नियमावली में संशोधन के बाद पहली बार यह भर्ती परीक्षा होनी थी, लेकिन राजकीय शिक्षक संघ सरकार के इस निर्णय के खिलाफ आंदोलनरत है।
राजकीय शिक्षक संघ का कहना है कि प्रधानाचार्य के शत प्रतिशत पद पदोन्नति के पद हैं। इन पदों पर विभागीय सीधी भर्ती करने पर वर्षों से विभाग में कार्यरत शिक्षकों के साथ अन्याय है।
शिक्षकों ने इस मामले में बीते 5 सितंबर को अध्यापकों ने काली पट्टी बांधकर सांकेतिक तौर पर शिक्षक दिवस का विरोध भी किया था।
प्रदेश में प्रधानाचार्य के 692 पदों पर इस महीने 29 सितंबर को प्रस्तावित विभागीय सीधी भर्ती परीक्षा को शिक्षकों के विरोध के बाद स्थगित कर दी गया है। शासन ने इस संबंध में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को पत्र भेज दिया है।
लेकिन राजकीय शिक्षक संघ भर्ती परीक्षा स्थगित करने से संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि इस परीक्षा को पूर्ण रूप से रद्द किया जाए और शत प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाएं।
इसको लेकर आज ननूरखेड़ा स्थित शिक्षा निदेशालय में राजकीय शिक्षक संघ ने क्रमिक अनशन की चेतावनी दी है।