देहरादून। लम्बे समय से प्रोटोकॉल पॉलिटिक्स खूब हिलोरे मारने लगी है। खुद को जनता का सेवक मानने वाले माननीय अपने प्रोटोकॉल को लेकर खासे गंभीर नजर आ रहे हैं। भले ही उनके बनाए नियम-कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ा दी जाएं, लेकिन उनके प्रोटोकॉल पर जरा सी भी आंच नहीं आनी चाहिए। अब उत्तराखंड की विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी का प्रोटोकॉल के खलल डाल दिया गया है। राजधानी देहरादून के परेड ग्राउंड में आयोजित किए गए राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह में उन्होंने प्रतिभाग करने से इसलिए इन्कार कर दिया कि उनकी गरिमा के हिसाब से बैठने की व्यवस्था नहीं की गई थी। लिहाजा, विधानसभा की तरफ से शिकायतभरी चिट्ठी मुख्य सचिव को भेज दी गई। हालांकि, जब देहरादून जिला प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए 03 क्लास वन अधिकारियों की जांच कमेटी गठित की तो पता चला कि प्रोटोकॉल तो टूटा ही नहीं। क्योंकि, विधानसभा में आयोजित होने वाले समारोह के लिए स्वयं विधानसभा अध्यक्ष ने परेड ग्राउंड के कार्यक्रम में
प्रतिभाग करने से इसलिए इन्कार कर दिया कि उनकी गरिमा के हिसाब से बैठने की व्यवस्था नहीं की गई थी। लिहाजा, विधानसभा की तरफ से शिकायत भरी चिट्ठी मुख्य सचिव को भेज दी गई। हालांकि, जब देहरादून जिला प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए 3 क्लास वन अधिकारियों की जांच कमेटी गठित की तो पता चला कि प्रोटोकॉल तो टूटा ही नहीं। क्योंकि, विधानसभा में आयोजित होने वाले समारोह के लिए स्वयं विधानसभा अध्यक्ष ने परेड ग्राउंड के कार्यक्रम में प्रतिभाग करने से इन्कार कर दिया था।
सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह, उपजिलाधिकारी सदर हर गिरि और उपजिलाधिकारी (न्यायिक) कुमकुम जोशी की संयुक्त जांच रिपोर्ट के अनुसार जब भी कार्यक्रम में संवैधानिक पदों पर आसीन अतिविशिष्ठ अतिथियों, समस्त गणमान्य अतिथियों और विशिष्ठ अतिथियों को आमंत्रण पत्र दिए जाते हैं तो उनकी उपस्थिति को लेकर सहमति/पुष्टि की जाती है। जिसके क्रम में कार्यक्रम के मुख्य मंच का डायस प्लान तैयार किया जाता रहा है।
पूर्व वर्षों की भांति इस वर्ष भी उसी प्रक्रिया का पालन किया गया और स्वतंत्रता दिवस समारोह का आमंत्रण पत्र दिए जाने के बाद डायस प्लान तैयार करने को संबंधित गणमान्य व्यक्तियों से सीधे या उनके कार्यालय के माध्यम से संपर्क कर डायस प्लान तैयार किया गया। उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष के स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रतिभाग करने की पुष्टि के लिए उनके निजी सचिव चंद्रेश गौड़ को 13 और 14 अगस्त को संपर्क किया गया। ताकि मुख्य मंच का डायस प्लान विधानसभा अध्यक्ष की गरिमा के अनुरूप तैयार किया जा सके।
प्रशासन की ओर से किए गए संपर्क के क्रम में विधानसभा अध्यक्ष के निजी सचिव ने अवगत कराया कि विधानसभा में भी स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित किया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष इस समारोह में उपस्थित रहेंगी। लिहाजा, वह परेड ग्राउंड के राज्य स्तरीय समारोह में शिरकत नहीं कर सकेंगी। उसी दौरान चंद्रेश गौड़ को विधानसभा अध्यक्ष के मुख्य मंच पर बैठने के स्थान के बारे में भी अवगत करा दिया गया था।
चूंकि, विधानसभा अध्यक्ष के पद की गरिमा के अनुरूप मुख्य मंच पर बैठने के स्थान की समस्त कार्रवाई पूरी करा दी गई थी, ऐसे में जिला प्रशासन की तरफ से कोई भी चूक नहीं की गई। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन की जांच में सभी पहलू स्पष्ट कर दिए जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय की ओर से क्या जवाब दिया जाता है। भले ही इस प्रकरण में अब कोई कार्यवाही शेष न हो, लेकिन एक बार फिर प्रोटोकॉल पॉलिटिक्स को हवा जरूर मिल गई है। संभव है कि तीर किसी का रहा हो और निशाना किसी और ने लगाया हो। निशाना किसे बनाने का प्रयास किया गया और इसका परिणाम क्या होगा, यह तो वक्त ही बताएगा।
उनकी गरिमा के हिसाब से बैठने की व्यवस्था नहीं की गई थी। लिहाजा, विधानसभा की तरफ से शिकायत भरी चिट्ठी मुख्य सचिव को भेज दी गई। हालांकि, जब देहरादून जिला प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए 3 क्लास वन अधिकारियों की जांच कमेटी गठित की तो पता चला कि प्रोटोकॉल तो टूटा ही नहीं। क्योंकि, विधानसभा में आयोजित होने वाले समारोह के लिए स्वयं विधानसभा अध्यक्ष ने परेड ग्राउंड के कार्यक्रम में प्रतिभाग करने से इन्कार कर दिया था।
सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह, उपजिलाधिकारी सदर हर गिरि और उपजिलाधिकारी (न्यायिक) कुमकुम जोशी की संयुक्त जांच रिपोर्ट के अनुसार जब भी कार्यक्रम में संवैधानिक पदों पर आसीन अतिविशिष्ठ अतिथियों, समस्त गणमान्य अतिथियों और विशिष्ठ अतिथियों को आमंत्रण पत्र दिए जाते हैं तो उनकी उपस्थिति को लेकर सहमति/पुष्टि की जाती है। जिसके क्रम में कार्यक्रम के मुख्य मंच का डायस प्लान तैयार किया जाता रहा है।
पूर्व वर्षों की भांति इस वर्ष भी उसी प्रक्रिया का पालन किया गया और स्वतंत्रता दिवस समारोह का आमंत्रण पत्र दिए जाने के बाद डायस प्लान तैयार करने को संबंधित गणमान्य व्यक्तियों से सीधे या उनके कार्यालय के माध्यम से संपर्क कर डायस प्लान तैयार किया गया। उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष के स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रतिभाग करने की पुष्टि के लिए उनके निजी सचिव चंद्रेश गौड़ को 13 और 14 अगस्त को संपर्क किया गया। ताकि मुख्य मंच का डायस प्लान विधानसभा अध्यक्ष की गरिमा के अनुरूप तैयार किया जा सके।
प्रशासन की ओर से किए गए संपर्क के क्रम में विधानसभा अध्यक्ष के निजी सचिव ने अवगत कराया कि विधानसभा में भी स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित किया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष इस समारोह में उपस्थित रहेंगी। लिहाजा, वह परेड ग्राउंड के राज्य स्तरीय समारोह में शिरकत नहीं कर सकेंगी। उसी दौरान चंद्रेश गौड़ को विधानसभा अध्यक्ष के मुख्य मंच पर बैठने के स्थान के बारे में भी अवगत करा दिया गया था।
चूंकि, विधानसभा अध्यक्ष के पद की गरिमा के अनुरूप मुख्य मंच पर बैठने के स्थान की समस्त कार्रवाई पूरी करा दी गई थी, ऐसे में जिला प्रशासन की तरफ से कोई भी चूक नहीं की गई। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन की जांच में सभी पहलू स्पष्ट कर दिए जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय की ओर से क्या जवाब दिया जाता है। भले ही इस प्रकरण में अब कोई कार्यवाही शेष न हो, लेकिन एक बार फिर प्रोटोकॉल पॉलिटिक्स को हवा जरूर मिल गई है। संभव है कि तीर किसी का रहा हो और निशाना किसी और ने लगाया हो। निशाना किसे बनाने का प्रयास किया गया और इसका परिणाम क्या होगा, यह तो वक्त ही बताएगा।