उत्तराखंड के युवा पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर सड़कों पर ही रात गुजार रहे हैं!
उधर आयोग का कहना है कि कोई पेपर लीक नहीं हुआ सिर्फ तीन पन्ने ही लीक हुए। पूरे मामले में मुख्य आरोपी खालिद अभी भी चल रहा फरार है,जबकि उसकी बहन हुई गिरफ्तार हो गई है।
परीक्षा केंद्र पर जैमर भी 4जी थे जोकि 5 जी पर संभवतः काम नहीं करते होंगे!!
आखिर खालिद का मोबाइल परीक्षा केंद्र के अंदर कैसे पहुंचा?
क्या खालिद ने अपनी बहन के जरिए सिर्फ प्रोफेसर सुमन तक ही 12 प्रश्न पहुंचाए या खालिद के पास पूरा ऐसा नेटवर्क था जो प्रश्न पत्र अन्य तक भी पहुंचा?
वहीं प्रोफेसर सुमन ने ये भी स्वीकार नहीं किया कि उन्होंने प्रश्न सॉल्व करके भेजे थे । फिर 12 प्रश्नों के उत्तर खालिद तक किसने पहुंचाए?
प्रोफेसर सुमन पर भी मुकदमा दर्ज ! जबकि सुमन के माध्यम से ही पेपर लीक की जानकारी बाहर आ पाई!!
परीक्षा में जैमर, स्कैनिंग , वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए हायर की गई कंपनी की भूमिका की भी जांच होगी? कि इतने हाईटेक जमाने में उसने 4जी जैमर ही क्यों लगवाए?
पूर्व में भर्ती घोटालों को लेकर हुए आंदोलनों को ध्यान में रखते हुए uksssc के गठन से अब तक हुई परीक्षाओं की सीबीआई जांच होनी चाहिए अन्यथा युवाओं के मन में हमेशा संशय बना रहेगा।