पौड़ी, चमोली और टिहरी के सियासी टुकड़ों में वर्ष 1997 मे बसा छोटा सा जनपद रुद्रप्रयाग बड़े सियासी मायने रख रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मंत्रिमंडल को लेकर लंबे समय से विस्तार की चर्चाएं चल रही है। इसी असमंजस में मुख्यमंत्री धामी फंस चुके हैं।
दरअसल रुद्रप्रयाग में दो विधानसभा सीट हैं, इन सीटों में दोनों ही भाजपा से विधायक हैं। केदारनाथ उपचुनाव में पूर्व विधायक केदारनाथ शैला रानी के निधन के बाद आशा नौटियाल विधायक बनी हैं, तो रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार भरत चौधरी जीत कर आए हैं।
धर्मनिरपेक्ष देश में राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल ने आरोप लगाया था कि कुछ गैर-हिंदू इस धार्मिक स्थल की पवित्रता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। अब इस पर कांग्रेस का बयान भी सामने आया था। कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा था कि भाजपा नेताओं को सनसनीखेज बयान देने की आदत हो गई है।
खैर..! बात चाहे कुछ भी हो लेकिन रुद्रप्रयाग जनपद से रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी और केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल का नाम भी मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर सामने आ रहा है।
देखना दिलचस्प होगा कि तीन बार के लगातार विधायक रहे भरत सिंह चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष महिला मोर्चा भाजपा की आशा नौटियाल में से मंत्रिमंडल में किसको जगह मिलती है।
अपनी सादगी को लेकर जाने जाने वाली भाजपा नेत्री आशा नौटियाल की रुद्रप्रयाग जिले में लंबी पकड़ है।
पूर्व विधायक शैला रानी रावत के निधन के बाद उपचुनाव में वह विजई हुई हैं।
देखना होगा कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पार्टी महिला पर दांव खेलती है या पुरुष पर!
या रुद्रप्रयाग की झोली खाली रहेगी!!!