अरबों रुपए के घोटाले करने वाले मुजफ्फरनगर निवासी पूर्व एम्स निदेशक डॉ रविकांत पर सीबीआई का शिकंजा कस चुका है। हालांकि राजनीतिक रसूख के चलते सीबीआई इस महाभ्रष्ट अधिकारी तक नहीं पहुंच पा रही थी। लेकिन अब एम्स अधिकारियों ने स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ऋषिकेश में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इसे लेकर एम्स पर हमेशा उंगली उठती रही हैं। एम्स में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि सीबीआई यहां दस्तक देनी पड़ी। भ्रष्टाचार को लेकर सीबीआई की जांच के बाद एम्स के कई चिकित्सकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज भी किया गया। जिसके इशारे पर एम्स में भ्रष्टाचार किया जा रहा था, लेकिन राजनीतिक पकड़ के कारण सीबीआई इस बड़े अधिकारी तक नहीं पहुंच पा रही थी।
एम्स के पूर्व निदेशक डॉ रविकांत के सेवानिवृत होने के बाद अब सीबीआई इस अधिकारी तक पहुंचना चाहती है जो भ्रष्टाचार में लिप्त था। इसके लिए सीबीआई ने तत्कालीन एम्स के पूर्व निदेशक डा. रवि कांत के खिलाफ भ्रष्टाचार कानून अधिनियम 1988 की धारा 17ए के तहत 27 मार्च 2025 को एम्स को एक पत्र भेजा था। सीबीआई का पत्र मिलने के बाद एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. डा. मीनू सिंह ने सीबीआई के इस पत्र को एम्स इंस्टीट्यूट की बॉडी के समक्ष रखा।
इसके बाद एम्स इंस्टीट्यूट की बॉडी के तत्कालीन अध्यक्ष समिरन नंदी ने 16 अप्रैल 2025 सीबीआई को एम्स के पूर्व निदेशक डा. रविकांत के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति प्रदान की। एम्स इंस्टीट्यूट की बॉडी से सीबीआई को अनुमति मिलने के बाद अब पूर्व निदेशक के खिलाफ सीबीआई जांच शुरू कर सकती है। हालांकि इस मामले में एम्स तर्क दे रहा है कि अंतिम निर्णय मंत्रालय द्वारा लिया जाना है।
एम्स इंस्टीट्यूट बॉडी के पत्र में साफ लिखा गया है कि वह एम्स के पूर्व निदेशक के खिलाफ जांच की अनुमति प्रदान करता है। मंत्रालय की तरफ से भी इसका अधिकार एम्स को ही दिया गया था। इसके बाद सीबीआई अब पूर्व निदेशक डॉ रविकांत पर कार्रवाई कर रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि केंद्रीय नेताओं के संरक्षण में पाल बड़े इस सेवानिवृत्त हो चुके इस भ्रष्ट अधिकारी पर सीबीआई कहां तक कार्रवाई करती है।