अल्मोड़ा। 14 से अधिक हत्याकांड में शामिल और अल्मोड़ा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे उर्फ पीपी को जूना अखाड़ा के संतों की ओर से जेल में दीक्षा देकर अखाड़े में शामिल करने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है कि आखिर एक अपराधी जिस पर हत्या, अपरहण, फिरौती जैसे कई मामले दर्ज हैं, जो अपराधी अंडरवर्ल्ड की दुनिया का हिस्सा भी रह चुका है। उसे अब मंदिर और मठों की जिम्मेदारी सौंप दी गई है।
जूना अखाड़ा के संतो द्वारा जेल में पीपी को दीक्षा दिए जाने के मामले में डीआईजी जेल डीआर मौर्य ने अल्मोड़ा जेल अधीक्षक जयंत पांगती को जवाब-तलब किया है। डीआईजी (जेल) डीआर मौर्य ने बताया कि जेल में इस तरह की गतिविधि किसकी अनुमति से की गई है, इसकी कोई जानकारी नहीं है। इस दौरान जेल में पीपी से मुलाकात करने वालों पर भी निगरानी बढ़ा दी गई है।
वहीं दूसरी ओर अखाड़े के शीर्ष महंतों ने इस मुद्दे पर किनारा कर लिया है। शीर्ष महंतों का कहना है कि यह मामला जूना अखाड़े का अंदरूनी मामला है। इस विषय में उनके संत ही कोई टिप्पणी कर सकते हैं।
सात सदस्यीय जांच कमेटी गठित
जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरी गिरी महाराज ने इस मामले में जांच करने की बात कही है। किसने पीपी को संत बनाया?, कौन इसमें शामिल रहे? इन्हीं मुद्दों को लेकर 7 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है।
बहरहाल प्रदेश भर में कुख्यात प्रकाश पांडे उर्फ पीपी को मंडलेश्वर की उपाधि देने से प्रदेश भर में अटकलों का बाजार गर्म है, कि आखिर किन परिस्थितियों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक अपराधी को संत की उपाधि दी गई।