रामनगर। तराई पश्चिमी वन प्रभाग में मंगलवार सुबह उस समय तनाव का माहौल बन गया जब कोसी नदी के खड़ंजा गेट पर वन विभाग और खनन माफियाओं के बीच टकराव हो गया। घटना में खनन माफियाओं ने वन विभाग के एसडीओ मनीष जोशी के साथ न केवल गाली-गलौच की, बल्कि मारपीट भी की। इस हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने आमजन और पर्यावरण प्रेमियों में आक्रोश फैला दिया है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एसडीओ मनीष जोशी अपनी टीम के साथ नियमित गश्त पर थे, जब उन्होंने खड़ंजा गेट के पास अवैध रूप से खनन करते हुए भारी वाहन देखे। गेट बंद होने के बावजूद खनन माफिया आरबीएम (नदी से निकाली गई सामग्री) लदे ट्रक और ट्रैक्टर लेकर बाहर निकल रहे थे। जब जोशी ने इन्हें रोकने का प्रयास किया, तो खनन माफिया एकजुट होकर उनके साथ अभद्र भाषा में बात करने लगे और फिर उनके साथ मारपीट की।
इतना ही नहीं, माफियाओं ने घटनास्थल पर अपने ट्रक और ट्रैक्टर से आरबीएम सड़क पर पलटकर अफरा-तफरी मचा दी और मौके से फरार हो गए। इससे क्षेत्र में यातायात भी प्रभावित हुआ।
एसडीओ मनीष जोशी ने इस संबंध में रामनगर कोतवाली में तहरीर दी है। वरिष्ठ उपनिरीक्षक मोहम्मद यूनुस ने पुष्टि की है कि मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मनीष जोशी जब से रामनगर सब-डिवीजन के प्रभारी बने हैं, वे लगातार अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। इसी वजह से वे खनन माफियाओं के निशाने पर आ गए हैं।
प्रश्न उठता है – क्या प्रशासन ऐसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों को पर्याप्त सुरक्षा दे पाएगा?
यदि अधिकारी ही सुरक्षित नहीं हैं, तो जंगलों की रक्षा कौन करेगा?