देहरादून। राजधानी के नव नियुक्त जिला अधिकारी सविन बंसल अपनी कार्यशैली को लेकर लगातार सुर्खियों में हैं। कभी अस्पतालों में मरीज बनकर जाना हो या मयखाने में ग्राहक बनकर, जिला अधिकारी अपने स्तर से हर व्यवस्था को प्रशासनिक लहजे जनोपयोगी बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
अपने इसी मिशन में आज देहरादून के शराब के ठेके का औचक निरीक्षण करने पहुंचे जिला अधिकारी महोदय को खुद ही शराब पर ओवर रेटिंग का सामना करना पड़ा है। जिलाधिकारी महोदय ने अंग्रेजी शराब के ठेके से मैकडॉवेल व्हिस्की मांगी तो उन्हें 680 रुपए में दी गई है, जबकि उसका वास्तविक प्रिंट 660 रुपए है। ओवर रेटिंग को लेकर जिला अधिकारी ने ठेका कर्मचारी से बात करने की कोशिश करी तो वह बदतमीजी पर उतारू हो गया।
प्रशासनिक कर्मचारियों के हस्तक्षेप के बाद ठेका संचालक को पता चला कि वह ओवर रेटिंग डीएम से कर रहा है तो माफी मांगने आदि का सिफारिशी दौर शुरू हो गया।
बहरहाल जिला अधिकारी ने माफ़ी ना देते हुए संबंधित कानूनी कार्रवाई की है।
डीएम देहरादून के अनुसार उन्होंने ओल्ड मसूरी रोड स्थित शराब ठेके के सेल्समैन से मैक-डॉवल व्हिस्की की बोतल देने को कहा। सेल्समैन ने भी तपाक से 680 रुपए मांग लिए। जिलाधिकारी ने एमआरपी के हिसाब से 660 रुपए वसूलने की बात कही तो सेल्समैन उनसे झगड़ पड़ा। हालांकि, जब उसे पता चला कि शराब खरीदने वाले जिलाधिकारी हैं तो उसके चेहरे की हवाइयां उड़ गई। ओवर रेटिंग पर ठेके के विरुद्ध 50 हजार रुपए की चालानी कार्रवाई की गई है। इसके अलावा प्रशासन की अन्य टीम ने भी शराब ठेकों पर छापा मारा। कुल 4 ठेकों की जांच में पकड़ी गई ओवर रेटिंग में 2.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
इशारों इशारों में ही सही प्रदेश के ‘दिव्यांग’ बने आबकारी विभाग को जिला अधिकारी ने एक कड़ा संदेश दिया है।
जिला अधिकारी की इस पहल का सभी लोग स्वागत कर रहे हैं।
बहरहाल एक अनुमान के मुताबिक प्रत्येक वर्ष उत्तराखंड में शराब के ठेकों द्वारा मात्र ओवर रेटिंग के माध्यम से 300 करोड रुपए से अधिक की काली कमाई की जाती है, जिसका कोई लेखा-जोखा सरकार के पास नहीं है और इसकी एक बड़ी रकम आबकारी विभाग के अधिकारियों की जेब मे जाती है।