देहरादून। राज्य गठन के बाद ऐसा पहली बार हुआ कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग बारम्बार कठघरे में खड़ा हुआ।
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल गोयल के दोहरे मतदाताओं को लेकर दिये गए 27 जून व 6 जुलाई के आदेश से हड़कंप और भ्रम की स्थिति बनी।
इससे पहले सीटों के आरक्षण को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग के चुनावी कार्यक्रम पर हाईकोर्ट ने रोक लगाकर सरकार को बैकफुट पर धकेल दिया। जैसे तैसे यह मामला पटरी पर आया तो आयोग को संशोधित पंचायत चुनाव कार्यक्रम की जारी करना पड़ा (हरिद्वार को छोड़कर)।
खैर, फिर शहरी मतदाताओं के पंचायत चुनावी नामांकन का शोर गूंजा। बात हाईकोर्ट तक गयी। सैकड़ों की संख्या में पंचायत चुनाव लड़ने वाले कभी खुश हुए तो कभी भ्रम में।
बहरहाल, नामांकन आदि सभी प्रक्रियाएं सम्पन्न हो गयी। हाईकोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया नहीं रोकी। अलबत्ता 6 जुलाई के राज्य निर्वाचन आयोग के दोहरे मतदाताओं वाले लड़ सकते हैं पंचायत चुनाव सम्बन्धी आदेश पर पूरी तरह रोक लगा रखी है।
तथ्यों के साथ याचिकाकर्ता अभी भी मैदान में डटे है। लगभग 500 ऐसे दोहरे मतदाताओं की सूची राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपी जा चुकी है। निरस्त हुए कई नामांकन की वैधता को लेकर भी कानूनी जंग चल रही है। विपक्ष ने राज्य निर्वाचन आयोग के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है।
पंचायत चुनाव सम्पन्न होने के बाद दोनों जगह (शहरी व ग्रामीण) की मतदाता सूची वाले उम्मीदवारों की शिकायत का रास्ता खुला हुआ है। हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि, चुनाव बाद शिकायत लेकर आ सकते हैं।
हाईकोर्ट ने बरसात,कांवड़, आपदा, चारधाम यात्रा के कठिन दौर में पंचायत चुनाव टालने की याचिका को भी सुना। लेकिन सरकार के जवाब के बाद चुनावी प्रक्रिया को रोकने का कोई फैसला नहीं लिया। हालांकि, शुक्रवार 18 जुलाई को आयोग को चुनाव चिह्न आवंटन से पहले बैलेट पेपर छापने पर आड़े हाथ लिया।
इन तमाम झंझावातों के बीच प्रदेश के 12 जिलों में पंचायत चुनाव का प्रचार जोरों पर चल रहा है। धड़ल्ले से अवैध शराब पकड़ी जा रही है। भारी बरसात में प्रत्याशी व समर्थक दूर दराज के गांवों में बिछ गए हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के अलावा कांग्रेस,उक्रांद समेत निर्दलीय प्रत्याशी
24 व 28 जुलाई को त्रिस्तरीय चुनाव के वोट पड़ेंगे। सैकड़ों लोग निर्विरोध चुने जा चुके हैं। इनमें सैन्य व आईपीएस अधिकारी यशपाल नेगी व विमला गुंज्याल विशेष सुर्खियों में चल रहे हैं।
11,082 पदों के लिए 32,580 प्रत्याशी मैदान में
22,429 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर चुनावी सरगर्मियां तेज हैं। नामांकन वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब प्रदेश के 12 जिलों में 11,082 पदों के लिए 32,580 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।
28 जून को जारी अधिसूचना के अनुसार नामांकन की प्रक्रिया 2 से 5 जुलाई तक चली, जिसमें कुल 63,569 नामांकन दाखिल हुए। नामांकन पत्रों की जांच के बाद 3,382 नामांकन खारिज कर दिए गए। इसके बाद बचे 60,187 उम्मीदवारों में से 5,019 ने 10 और 11 जुलाई को नाम वापस ले लिए। नाम वापसी के बाद 22,429 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए हैं, जबकि 32,580 प्रत्याशी अब चुनाव लड़ेंगे।
राज्य निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार पंचायत चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे। पहले चरण में 17,829 और दूसरे चरण में 14,751 उम्मीदवार मैदान में हैं।
जिला पंचायत सदस्य के 8 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए हैं, जबकि शेष 350 पदों के लिए 1,587 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। क्षेत्र पंचायत सदस्य के 240 पदों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ है, जबकि 2,732 पदों के लिए 9,194 उम्मीदवार मैदान में हैं।
प्रधान ग्राम पंचायत के 1,361 पदों पर उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं, और शेष 6,119 पदों के लिए 17,564 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं।
ग्राम पंचायत सदस्य पद पर सबसे अधिक 20,820 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए हैं। अब 1,881 पदों के लिए 4,235 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा।
हाईकोर्ट सख्त-
चुनाव चिह्न बांटने से पहले कैसे छप गए मत पत्र
नैनीताल। हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अहम टिप्पणी की है। राज्य निर्वाचन आयोग से पूछे गए एक सवाल के जवाब को सुनकर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मौखिक तौर पर कहा कि चुनावी प्रक्रिया जारी है। कई याचिकाएं कोर्ट में विचाराधीन हैं और चुनाव चिह्न आवंटन शुक्रवार शाम तक होने हैं। ऐसे में पहले ही बैलेट पेपर कैसे छापे जा सकते हैं।
उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर दर्जनभर याचिकाएं हाईकोर्ट पहुंच चुकी हैं। इधर, शुक्रवार को नामांकन खारिज किए जाने पर चुनौती देती एक याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा कि क्या चुनाव चिह्न आवंटित हो गए है? आयोग ने बताया कि नामांकन पत्रों की स्कूटनी हो चुकी है। जो फॉर्म सही नहीं था, वह पंचायती राज एक्टके विरुद्ध मानकर रिटर्निंग अधिकारी ने निरस्त कर दिया। बैलेट पेपर छपने के लिए प्रिंटिंग प्रेस भेज दिए गए है। इस पर कोर्ट ने सवाल उठाया और कहा कि चुनाव चिह्न आवंटन की प्रक्रिया समाप्त होने से पहले बैलेट पेपर कैसे छापे जा सकते हैं। आयोग की तरफ से बताया गया कि प्रत्याशियों को उनके नाम के पहले अंग्रेजी अक्षर के आधार पर चुनाव चिह्न बटि गए है। खंडपीठ ने पर भी सवाल उठाया और कहा कि पंचायती राज ऐक्ट में स्पष्ट है कि नामांकन पत्र सही पाए जाने के बाद चुनाव लड़ने के योग्य माने गए उम्मीदवार को उसकी पसंद के आधार पर चुनाव चिह्न आवंटित किया जाएगा। लेकिन बैलेट पेपर छापने में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई कि उम्मीदवार किस चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ना चाहता है उसकी पसंद का ख्याल नहीं रखा गया।