वन विभाग उत्तराखंड ने 2006 से चली आ रही व्यवस्था को समाप्त कर दिया है जिसमें शिकारियों का पैनल बनाया गया था। शिकारी लखपत सिंह, जॉय हुकिल और आशीष दास गुप्ता जैसे जाने-माने शिकारियों के साथ अनुबंध किया गया था जिसमें वह समय-समय पर आदमखोर बाघ और गुलदारों से मोर्चा लेते थे।
इस व्यवस्था को समाप्त करने के उपरांत अब वन विभाग उत्तराखंड पुलिस की मदद से आदमखोरों के खिलाफ खुद संभालेगा मोर्चा संभालेगा।
उत्तराखंड में अब लखपत सिंह, जॉय हुकिल और आशीष दास गुप्ता जैसे जाने-माने शिकारी आदमखोर बाघों और गुलदारों से मोर्चा लेते नजर नहीं आएंगे। वन विभाग ने वर्ष 2006 से चली आ रही व्यवस्था को समाप्त करते हुए शिकारियों के पैनल को रद्द कर दिया है। ऐसी स्थिति बनने पर वन विभाग अब उत्तराखंड पुलिस की मदद से खुद मोर्चे पर डटेगा ।
प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष के बीच कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है, जब संबंधित वन्यजीवों (बाघ, गुलदार, हाथी इत्यादि) को आदमखोर घोषित करते हुए उन्हें मारने के आदेश करने पड़ते हैं। इस काम के लिए अभी तक वन विभाग पैनल में शामिल लाइसेंसी शिकारियों की मदद लेता रहा।शिकारियों का पैनल एनटीसीए की नई गाइडलाइन के अनुसार रद्द कर दिया गया है। वन विभाग यह फैसला लिया है कि वह अब इस कार्य के लिए अपने कर्मचारियों को तैयार करेगा । उत्तराखंड पुलिस की मदद लेने के लिए डीजीपी से पहले दौर की बैठक भी हो चुकी है।