आसाराम इन दिनों किस तरह इलाज के नाम पर सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर रहते हुए सुप्रीम कोर्ट को ठेंगा दिखा रहा है। वह पिछले 10 दिनों से इंदौर में रहते हुए अपने समर्थकों से मिल भी रहा है और प्रवचन भी दे रहा है।
आसाराम यह सब अपने जिस आश्रम यानी अड्डे पर कर रहा है, वहां से अब एक नया कांड होने की खबर है। बताया जा रहा है कि बीते सोमवार को दोपहर में अड्डे पर आसाराम का ‘प्रवचन’ खत्म होने के बाद आसाराम के एक सेवक ने वहां मौजूद एक ‘भक्त’ महिला के साथ जोर-जबर्दस्ती करने की कोशिश कर रहा है।
पीड़ित महिला ने इस बात की शिकायत संबंधित पुलिस थाने पर जाकर की। लेकिन थानेदार के पास मध्य प्रदेश सरकार के एक ‘कट्टर सनातनी’ मंत्री, जो कि आसाराम का पुराना भक्त हैंं, का फोन आने के बाद पुलिस ने मामला रफा-दफा कर दिया। आरोपी को भी छोड़ दिया गया और महिला को भी कुछ ‘समझा-बूझा’ कर रवाना कर दिया गया।
इस घटना की जानकारी इंदौर के सभी अखबारों के पास थी, लेकिन खबर सिर्फ एक-दो छोटे अखबारों में ही छपी।
बलात्कार जैसे वीभत्सतम अपराध के दो मामलों में उम्रकैद की सजा प्राप्त फर्जी संत आसाराम इन दिनों इलाज के नाम पर सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर है। सुप्रीम कोर्ट ने उसे 7 जनवरी को 31 मार्च तक के लिए इस शर्त पर अंतरिम जमानत दी है कि वह जमानत पर जेल से बाहर रहते हुए न तो अपने समर्थकों से मिल सकेगा और न ही प्रवचन दे सकेगा। लेकिन जमानत की इन शर्तों को यानी सुप्रीम कोर्ट को ठेंगा दिखाते हुए आसाराम अपने समर्थकों से भी मिल रहा है और प्रवचन भी दे रहा है।
इस समय पिछले छह दिनों से वह इंदौर स्थित अपने आश्रम यानी अड्डे पर है, जहां से उसे 1 सितंबर 2013 को राजस्थान की पुलिस ने बड़ी मशक्कत के बाद गिरफ्तार किया था। इस समय इंदौर में रहते हुए आसाराम अपने अड्डे पर रोजाना बड़ी संख्या में अपने समर्थकों से मिल रहा है और प्रवचन भी दे रहा है। यह सब पुलिस प्रशासन की देखरेख में हो रहा है। जाहिर है कि मध्य प्रदेश के पुलिस प्रशासन के लिए भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कोई मतलब नहीं है।
इंदौर में आसाराम के भक्तों में कई नेता, कारोबारी, अखबार मालिक, पत्रकार, वकील, प्रोफेसर आदि भी रहे हैं। बहरहाल आसाराम का इंदौर आने का मकसद अपने समर्थकों से मिलना और प्रवचन करना ही नहीं है। दरअसल आसाराम ने अपने ‘अच्छे दिनों’ के दौरान अपना काफी सारा पैसा इंदौर में अपने कुछ भक्त कारोबारियों और नेताओं के पास निवेश कर रखा था, सो आसाराम का इंदौर आने का मूल मकसद उस पैसे की खैरखबर लेना या वसूली करना है। लेकिन उनका यह मकसद शायद अब पूरा नहीं होना है, क्योंकि जिन लोगों के पास पैसा निवेश किया गया है, वे आसाराम से भी ‘ऊंचे दर्जे’ के हैं।
खैर, भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां के संस्कार और संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम की है। जिसका पैसा है, और जो उस पैसे से ऐश कर रहे हैं, वे सब एक ही परिवार के हैं। तो पारिवारिक मामले की ज्यादा चर्चा क्यों करना?
लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सरेआम धज्जियां उड़ना भले ही सुप्रीम कोर्ट के लिए चिंताजनक हो न हो, समाज के सभ्य तबके के लिए तो इस पर चिंतित होना लाजिमी है