रुद्रप्रयाग। बीएड की फर्जी डिग्री से नौकरी हासिल करने के मामले में एक शिक्षक को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने पांच वर्ष की सजा सुनाई है। शिक्षक को धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज बनाने का दोषी माना गया है। सजा के साथ ही दस हजार का अर्थदंड भी लगाया है। इसके बाद फर्जी शिक्षक को न्याय अभिरक्षा में जिला कारागार पुरसाड़ी चमोली भेज दिया गया।
जिला रुद्रप्रयाग में तैनात शिक्षक महेंद्र सिंह ने अपनी बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी प्राप्त की। शिक्षा विभाग के एसआईटी एवं विभागीय आधार पर उक्त शिक्षक की बीएड की डिग्री का सत्यापन कराया गया। जांच चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ से कराई गई। जांच में बताया गया कि उक्त शिक्षक के नाम कोई भी बीएड की डिग्री जारी नहीं हुई है।
शासन स्तर से एसआईटी जांच भी कराई गई थी। जांच के आधार पर शिक्षा विभाग रुद्रप्रयाग की ओर से शिक्षक महेंद्र सिंह के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया। बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने धोखाधड़ी का दोषी माना और पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही दस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। जुर्माना अदा ना करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। साथ ही जाली दस्तावेज बनाने पर 2 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई और 5000 रुपये जुर्माना लगाया। जुर्माना अदा ना करने पर एक माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी।