लंबे समय से वन विभाग सुर्खियों में बना हुआ है। अब ईडी की सख्ती के चलते विभागीय हरक सिंह रावत और उनके करीबियों मे हड़कंप है तो वहीं वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों मे खलबली है। हरक सिंह रावत पर चर्चित पाखरो टाइगर रिजर्व अवैध पेड़ कटान मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई जांच कर रही है। अब इसी जांच को आगे बढ़ाते हुए ईडी ने वन विभाग से ‘कैंपा’ से जुड़ी जानकारी मांगी है।
दरअसल प्रवर्तन निदेशालय ने वन विभाग से वनारोपण निधि प्रबंधन व योजना प्राधिकरण (कैंपा) से जुड़ी जानकारी मांगी है। इसमें कैंपा के पिछले सालों की खर्च समेत अन्य बिंदु शामिल हैं। इसके बाद से वन महकमे में अंदरखाने खलबली मची हुई है। अधिकारी जवाब तैयार करने में जुटे हैं।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में गड़बड़ी का मामला सामने आया था, इसके बाद से केंद्रीय जांच एजेंसियां भी मामले की पड़ताल कर रही हैं। ईडी ने पाखरो मामले में वन विभाग के कई अधिकारियों के आवास पर छापा मारा था, जिसमे पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत सहित उनके अन्य करीबियों पर छापेमारी की गई थी। इस छापेमारी में नकदी और सोना मिला था।
सीबीआई भी इस मामले की जांच कर रही है।अब ईडी ने कैंपा से जुड़ी जानकारी मांगी है। ईडी कि इस कार्रवाई को पाखरो टाइगर रिजर्व से जोड़कर देखा जा रहा है। इस मामले में ईडी हरक सिंह रावत से पूछताछ कर रही है।
अब इस संबंध में एक पत्र वन विभाग के पास पहुंचा है। इसमें ईडी ने कैंपा के तहत बीते कई सालों के बजट की जानकारी मांगी है, यह बजट कहां-कहां पर खर्च हुआ, पूरा ब्योरा तलब किया है। इसके अलावा कैंपा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कौन-कौन रहे, किस-किस अवधि में रहे, इसकी भी डिटेल मांगी है। कैंपा के सीईओ व प्रमुख वन संरक्षक रंजन मिश्रा ने ईडी का पत्र मिलने की पुष्टि की है।
ईडी ने जो जानकारी मांगी है, उसका संबंध पाखरो से है या फिर कैंपा मद को लेकर कोई नई पड़ताल है, यह सवाल चौतरफा तैर रहा है। बताया जा रहा है कि ईडी का जो पत्र है, उसमें कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है।
क्या है कैंपा मद
वन भूमि हस्तांतरण के समय प्रयोक्ता विभाग वन भूमि की नेट प्रेजेंट वैल्यू की राशि जमा करता है। फिर यह राशि केंद्र से राज्य को कैंपा मद के माध्यम से मिलती है। इसका कार्य क्षतिपूरक वनीकरण के तहत कार्य करना होता है। इसके अलावा मृदा संरक्षण, जल संरक्षण, मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के कार्य भी होते हैं। इसके लिए एक नियमावली बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार एक दौर में कैंपा से हुए आवंटन को लेकर मानकों का पालन नहीं किया गया है।