अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चंपावत जनपद को मिलाकर बनी अल्मोड़ा संसदीय सीट में 14 विधानसभाएं है। सभी जिले ठाकुर बाहुल्य हैं। ब्राह्मण और अनुसूचित जाति व जनजाति मतदाताओं का आंकड़ा लगभग बराबर है। जाति के अनुसार लगभग 55 प्रतिशत ठाकुर, 23 प्रतिशत ब्राह्मण और 22 प्रतिशत अनुसूचित जाति व जनजाति मतदाता सांसद उम्मीदवार की जीत-हार तय करते हैं। 1957 से अब तक हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट पर सियासी दलों ने 55 प्रतिशत मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए अधिक बार राजपूत उम्मीदवारों को ही चुनावी मैदान में उतारा। कांग्रेस ने इस सीट पर सात बार तो भाजपा ने चार बार इस सीट पर राजपूत प्रत्याशी पर भरोसा जताया है।
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अल्मोड़ा सीट पर अजय टम्टा को भाजपा ने फिर से मैदान में उतारा है। पार्टी ने उन्हें लगातार तीसरी बार मौका दिया है। 2014 में जीत के बाद केंद्रीय राज्यमंत्री का पद भी उन्हें दिया गया था। टम्टा इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता, मजबूत पार्टी संगठन, केंद्र के साथ-साथ राज्य में डबल इंजन वाली सरकार की उपलब्धियों व योजनाओं के बूते मैदान में हैं। इसके अलावा सीमांत तक आलवेदर रोड बनने, पर्यटन के लिहाज से सीमांत में हुए विकास कार्य, हेली सेवाओं की शुरुआत,मानसखंड मंदिर माला, मेडिकल कालेज निर्माण आदि को जनता के बीच रख रहे हैं। सांसद निधि से कराए गए विकास कार्यों का लेखा-जोखा भी उनके पास है।
कांग्रेस : प्रदीप टम्टा
कांग्रेस के प्रदीप टम्टा के पास वैसे तो स्थानीय समस्याएं हैं लेकिन पार्टी का पूरा फोकस देशव्यापी समस्याओं की ओर अधिक है। पार्टी केंद्र व राज्य सरकार की नाकामी के तौर पर वह महंगाई, बेरोजगारी, अग्निवीर भर्ती, महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध, इलेक्ट्रोरल बांड आदि को गिना रहे हैं। स्थानीय मुद्दे शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी आदि को वह राज्य सरकार की कमी से जोड़कर मतदाताओं तक पहुंचा रहे हैं। कुल मिलाकर प्रदीप को लगता है एंटी इनकमबेंसी फैक्टर ज्यादा काम करेगा।