गैरसैंण। सरकार ने गैरसैंण को अंग्रेजों की तर्ज पर ग्रीष्मकालीन राजधानी तो बना दिया, लेकिन यहां आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं देना भूल गई। यहां इलाज के लिए गर्भवती को 120 किलोमीटर लेकर भटकने के बाद भी गर्भवती की गर्भ में पल रहे बच्चे सहित मौत हो गई।
गैरसैंण के नैल गांव निवासी धनुली देवी (30) गर्भवती थी। मंगलवार रात करीब 12:00 बजे धनुली देवी की तबीयत खराब होने लगी तो परिजन उन्हें 108 के माध्यम से 20 किलोमीटर दूर अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। यहां मौजूद स्टाफ ने आवश्यक संसाधन ना होने की बात कहकर गर्भवती महिला को भर्ती करने से मना कर दिया। इसके बाद गर्भवती को 50 किलोमीटर दूर सिविल अस्पताल रानीखेत ले जाया गया। यहां पर भी गर्भवती का उपचार नहीं किया गया। इसके बाद वहां से 90 किलोमीटर दूर परिजन उन्हें हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी चिकित्सालय लेकर पहुंचे। लेकिन तब तक महिला की हालत बहुत गंभीर हो चुकी थी। यहां अस्पताल में उपचार के दौरान गर्भवती महिला ने दम तोड़ दिया। चिकित्सकों ने इसका कारण अत्यधिक रक्तस्राव होना बताया और लंबे सफर के चलते शिशु की गर्भ में मौत हो चुकी थी। जिस कारण गर्भवती महिला की भी मौत हो गई।
महिला के पति बलवीर सिंह ट्रक परिचालक हैं। गर्भवती की मौत के बाद से ग्रामीणों में आक्रोश है।