अपने को तो भाजपा सरकार खुद को डबल इंजन की सरकार बोलती है परंतु सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर नजर आता है।ताजा मामला तिहाड़ जेल के सजायाफ्ता कैदी सुनील राठी को दिल्ली वापस भेजने का है। सुनील राठी को 15 अक्टूबर को एक केस के सिलसिले में हरिद्वार लाया गया था। जबकि अमूमन ऐसा होता है कि कोई भी कैदी 2 या 3 दिन से ऊपर रोका नहीं जाता लेकिन सुनील राठी 6 महीने से हरिद्वार में आराम फरमा रहा है, और उत्तराखंड सरकार ने राठी को वापस भेजने के मामले में मौन साध रखा है। सुनील राठी को वापस भेजने में सरकार की कोई रुचि नहीं दिखाई देती है।
सुनील राठी की वापसी का मामला दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड के बीच में उलझा कर रखा गया है। वैसे तो उत्तराखंड और यूपी में भाजपा की ही सरकार है और दिल्ली में भी पुलिस महकमा केंद्रीय भाजपा सरकार के अधीन ही है। इस तरह से तीनों इंजन यानी ट्रिपल इंजन की सरकार एक माफिया के आगे मजबूर दिखाई दे रही है।
तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे सुनील राठी को दिल्ली पुलिस की सुरक्षा में 15 अक्टूबर को हरिद्वार एक मामले में लाया गया था जहां से उसे हरिद्वार की जिला जेल में भेज दिया गया लेकिन उसके बाद सुनील राठी यहीं का होकर रह गया।
हरिद्वार के जेलर ने उत्तराखंड के गृह विभाग को कई बार पत्र लिखकर राठी को वापस भेजने की गुहार लगाई है। यहां तक कि जेलर ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने राठी को दिल्ली से बाहर ले जाने पर रोक लगाई हुई है।
बड़ा सवाल यह है कि हरिद्वार में राठी को रखने के लिए कोई हाई सिक्योरिटी बैरक तक नहीं है। जेलर ने खुद राठी की मौजूदगी से जेल में समस्या खड़ी होने की आशंका जताई है। लेकिन जेलर की अपील पर गृह विभाग मौन साधे बैठा है। गृह विभाग का कहना है कि किसी भी बंदी की अदला बदली दोनों राज्यों की सहमति से होती है। लेकिन इस मामले में राज्यों के बीच कोई संवाद नहीं हुआ। राठी की घर वापसी को लेकर विशेष सचिव गृह रिद्धिम अग्रवाल ने कहा है कि संबंधित राज्यों के साथ पत्र व्यवहार किया जा रहा है और साथ ही कोर्ट के जरिए राठी को शिफ्ट कराने की कोशिश की जा रही है।
सवाल यह भी उठता है कि क्या उत्तराखंड सरकार किसी बड़ी अनहोनी की इंतजार में बैठी है या सुनील राठी को हरिद्वार जेल में किसी पावरफुल सफेदपोश के कहने पर मौज कराई जा रही है।
ऐसी ही मेहरबानी कुछ वर्ष पूर्व,पूर्वी उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी पर भी हुई थी।4 साल पहले उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी पर जब योगी सरकार ने शिकंजा कसा तो मुख्तार अंसारी पर मेहरबानी करने के लिए उस पर पंजाब से एक बिल्डर को धमकाने का फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया गया,और मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल में लाकर बंद कर दिया गया था। 27 महीने तक मुख्तार अंसारी रोपड़ जेल में एक अकेली बैरक में मौज करता रहा। इस दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस ने 25 बार उसको वापस लाने की कोशिश की लेकिन तत्कालीन पंजाब सरकार उसकी आवभगत करती रही।
योगी सरकार को मुख्तार अंसारी की वापसी के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा वहां भी पंजाब सरकार ने मुख्तार अंसारी की पैरवी में कोई कोर कसर नहीं रखी। पंजाब पुलिस ने उसकी पैरवी में एक वकील पर ही 55 लाख खर्च कर दिए तो वही 27 कैदियों की एक बैरक को खाली कराकर अंसारी को रखा गया , जहां पर उसकी पत्नी को भी उससे मिलने की पूरी आजादी थी।
लेकिन आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्तार अंसारी को यूपी पुलिस के हवाले कर दिया गया।
कहीं उत्तराखंड सरकार भी वही शर्मनाक हरकत तो नहीं कर रही है। जो कुछ समय पहले पंजाब सरकार ने की थी।