एनसीईआरटी के पैनल द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद अब किताबों में इंडिया का नाम अब भारत कर दिया जाएगा। आने वाली नई पीढ़ी अब किताबों में तमाम बदलावों के साथ ही देश के नाम में भी बदलाव देखेगी।
नई पीढ़ी को अब स्कूलों में इंडिया की जगह भारत का इतिहास पढ़ाया जाएगा, जिसकी स्वीकृति देकर एनसीईआरटी ने इस नये बदलाव को अपना लिया है। अब किताबों में इंडिया की जगह भारत पढ़ाया जाएगा। आइए जानते हैं कि आखिर इंडिया की जगह भारत करने की वजह क्या है? साथ ही यह भी जानते हैं कि आखिर इंडिया नाम नाम किन हालातों में देश को मिला था। प्राचीन काल से ही हमारे देश के विभिन्न नाम प्रचलित रहे हैं। प्राचीन ग्रंथों में देश के अलग-अलग नाम लिखे गए- जैसे जम्बूद्वीप, भारतखंड, हिमवर्ष, अजनाभ वर्ष, आर्यावर्त तो वहीं अपने-अपने जमाने के इतिहासकारों ने हिंद, हिंदुस्तान, भारतवर्ष, इंडिया जैसे नाम दिए किंतु सबसे ज्यादा लोकप्रिय इनमें भारत रहा।
प्राप्त जानकारी से पता चला है कि विष्णु पुराण में इस बात का जिक्र है कि ‘समुद्र के उत्तर से लेकर हिमालय के दक्षिण तक भारत की सीमाएं निहित हैं। विष्णु पुराण कहता है कि जब ऋषभदेव ने नग्न होकर गले में बांट बांधकर वन प्रस्थान किया तो अपने ज्येष्ठ पुत्र भरत को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, जिनके नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ गया।
कैसे मिला इंडिया नाम
जब अंग्रेज हमारे देश में आए तो उन्होंने सिंधु घाटी को इंडस वैली कहा और उसी आधार पर इस देश का नाम इंडिया कर दिया। यह इसलिए भी माना जाता है क्योंकि भारत या हिंदुस्तान कहने में मुश्किल लगता था,और इंडिया कहना काफी आसान, तभी से भारत को इंडिया कहा जाने लगा
इंडिया’ शब्द हटाने के मांग क्यों ?
प्राप्त जानकारीयों के अनुसार आपको बता दे कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत को लेकर दी गई जिस परिभाषा में ‘इंडिया, दैट इज भारत’ यानी ‘इंडिया अर्थात भारत’ के जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उसमें से सरकार ‘इंडिया’ शब्द को निकालकर सिर्फ ‘भारत’ शब्द को ही रहने देने पर विचार कर रही है। पहले भी वर्ष 2020 में भी इसी तरह की कवायद शुरू हुई थी। जिसके मद्देनजर संविधान से ‘इंडिया’ शब्द हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर करते हुए दलील दी गई थी, कि इंडिया शब्द गुलामी की निशानी है और इसीलिए उसकी जगह भारत या हिंदुस्तान का प्रयोग होना चाहिए. अंग्रेजी नाम का हटना भले ही प्रतीकात्मक होगा, लेकिन यह हमारी राष्ट्रीयता, खास शतौर से भावी पीढ़ी में गर्व का बोध भरने वाला होगा।
तब कोर्ट ने ये कहकर याचिका खारिज कर दी थी कि हम ये नहीं कर सकते क्योंकि पहले ही संविधान में भारत नाम ही कहा गया है।
पैनल के सदस्यों में से एक सीआई आइजैक ने कहा कि एनसीईआरटी किताबों के अगले सेट में इंडिया का नाम बदलकर भारत कर दिया जाएगा। यहां यह भी बताते चले कि असल में इंडिया शब्द का प्रयोग ईस्ट इंडिया कंपनी और 1757 के प्लासी के युद्ध के बाद होना शुरू हुआ था। दूसरी तरफ भारत शब्द का उल्लेख विष्णु पुराण जैसे प्राचीन लेखों में मिलता है, जो कि सात हजार साल पुराने हैं। ऐसे में समिति ने सहमति से सिफारिश की है कि सभी कक्षाओं की किताबों में भारत के नाम का इस्तेमाल होना चाहिए.