प्रदेश के सरकारी स्कूलों में प्रवेशोत्सव खूब धूमधाम से मनाया गया। लेकिन सच्चाई कुछ और ही है।
दुर्गम क्षेत्र मुंस्यारी तहसील के गांधीनगर के बच्चों की उम्मीदें सरकार पूरा नहीं कर पाई, यहां पर पांचवी पास करने के बाद बच्चे पढ़ाई छोड़कर घर बैठ गए हैं।आपको बता दें कि इस गांव में जूनियर हाई स्कूल ना होने के कारण बच्चों को 10 किलोमीटर रोजाना पैदल जाना पड़ता है। जिस कारण बच्चो ने पांचवी कक्षा पास करने के बाद पढ़ाई छोड़कर घर बैठ गए हैं।
साथ ही अभिभावकों का कहना है कि जंगल के रास्ते 10 किलोमीटर दूर पढ़ाई करने के लिए बच्चों को अकेले भेजने से डर लगता है और हम मुंस्यारी में किराए पर कमरा लेकर बच्चों की पढ़ाई भी नहीं करा सकते हैं क्योंकि हमारी आर्थिक स्थिति सही नहीं है।
वहीं अभिभावकों का कहना है कि गांधीनगर गांव में 60 से अधिक परिवार निवास करते हैं गांव में प्राथमिक विद्यालय तो हैं ऐसे में बच्चों के कक्षा 5 तक की पढ़ाई तो सही से हो जाती है लेकिन पांचवी पास करने के बाद पढ़ाई के लिए बच्चों को या तो गांव छोड़ना पड़ता है या फिर पढ़ाई छोड़नी पड़ती है।उन्होंने कहा कि गांधीनगर से नजदीक में जूनियर हाई स्कूल विद्यालय जोशा गांव में है।लेकिन इसके लिए बच्चों को रोजाना विद्यालय जाने के लिए 5 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है और घर पहुंचने के लिए भी इतना ही चलकर आना पड़ता है।
गांधीनगर गांव के ग्राम प्रधान राजेश रोशन का कहना है कि इस साल 7 बच्चों ने पांचवी कक्षा पास की है लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण अभिभावक अपने बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए मुंसियारी नहीं भेज पा रहे हैं। जिस कारण 7 बच्चे पढ़ाई छोड़कर घर बैठे गए है।
साथ ही उन्होंने कहा कि गांधीनगर गांव में 90 फ़ीसदी परिवार बीपीएल श्रेणी के हैं और यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय रिंगाल से वस्तुएं बनाना है। जिस कारण अभिभावक बच्चों को घर से दूर मदकोट या फिर मुंसियारी में किराए का कमरा लेकर बच्चों की पढ़ाई कराने में असमर्थ हैं।
इसी आर्थिक तंगी के कारण बच्चों को बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ती है, पहले भी कई बच्चो ने पढ़ाई छोडी है।