इंसान कुछ भी करने की ठान ले तो असंभव कुछ भी नहीं है। इसका जीता जागता उदाहरण नैनीताल जिले के कोटाबाग ब्लॉक में देखने को मिल रहा है।
नैनीताल जिले के कोटाबाग ब्लॉक के कुछ दुर्गम इलाकों के बच्चों तक किताबों को पहुंचाने के लिए हिम्मोत्थान संस्था की ओर से घोड़ा लाइब्रेरी की पहल शुरू की गई है।जहां मुश्किल हालात और मुश्किल रास्तों के बीच बच्चों को अक्षर ज्ञान सिखाया जा रहा है।
क्षेत्र के दुर्गम ग्रामीण इलाकों में पिछले कुछ महीने से इस घोड़ा लाइब्रेरी के जरिए बच्चों को अक्षर ज्ञान के साथ ही कई ज्ञानवर्धक जानकारियां भी उपलब्ध कराई जा रही है,जो आगे चलकर भविष्य में उनके काम आएंगी।
कोटाबाग के दुर्गम पहाड़ी इलाकों जिनमें ग्राम बाघनी, छड़ा और जलना के युवाओं और स्थानीय शिक्षा प्रेरकों की मदद से इस घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की गई है। जिसके जरिए दुर्गम पर्वतीय ग्राम तोकों में “घोड़ा लाइब्रेरी” के माध्यम से पुस्तकें पहुंचाई जा रही हैं, ताकि पहाड़ के बच्चों को भी पढ़ने के लिए, रोचक कहानी – कविताएं निरंतर मिल पाएं, जिससे उनका ज्ञान वर्धन हो सकें।
इस प्रेरणादायक काम को करने वाली हिम्मोत्थान संस्था के शिक्षा प्रेरक सुभाष बधानी ने बताया कि आज भी कोटाबाग के कई दुर्गम ग्रामीण इलाके ऐसे हैं जहां राज्य बनने के 23 साल बाद भी अच्छे रास्ते नहीं हैं। जिसके चलते वहां के बच्चों को शिक्षा के लिए कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।
जिसको ध्यान में रखते हुए हिम्मोत्थान संस्था ने मुश्किल हालातों में भी बच्चों तक किताबें पहुंचाने का बीड़ा उठाया और सड़क न होते हुए घोड़े के जरिए बच्चों तक पुस्तकें पहुंचा रहे हैं। जो बच्चों के बौद्धिक विकास में सहायक होंगे। इतना ही नहीं वह चौपाल लगाकर बच्चों को अक्षर ज्ञान के साथ ही कई फिजिकल एक्टिविटीज भी करवाते हैं। जिससे उनके बौद्धिक विकास के साथ शारीरिक विकास के लिए भी बेहद कारगर सिद्ध होगी। उन्होंने बताया कि बच्चों को कहानी और चित्रों के माध्यम से भी पढ़ाया जाता है जिससे उनका रचनात्मक विकास हो सके।