देहरादून। लंबे समय से त्री स्तरीय पंचायत चुनाव में चुनी गई महिला जनप्रतिनिधियों के कार्यकाल के दौरान उनके पति अक्सर हस्तक्षेप करते आसानी से देखे जा सकते हैं। अब ऐंसे में इन महिला जनप्रतिनिधियों के पतियों को सबक सिखाने के लिए पंचायती राज विभाग ने कमर कस ली है।
पंचायतों में महिलाएं अब नाम मात्र की प्रधान या सदस्य नहीं रहेंगी। परिवार और पतियों की छाया से बाहर निकलकर वे स्वयं अपने पद के अनुरूप निर्णय लेंगी।
त्रिस्तरीय पंचायतों में महिला जनप्रतिनिधियों को प्रभावशाली बनाने के लिए चार दिवसीय विशेष प्रशिक्षण अभियान शुरू हो गया है।
देहरादून में राज्य स्तरीय प्रशिक्षकों के शिविर में महिला जनप्रतिनिधियों को कई बारीकियां सिखाई गईं। पंचायती राज निदेशक निधि यादव ने कहा कि पंचायती राज देहरादून में चार दिवसीय प्रशिक्षण अभियान शुरू किया गया है।
उन्होंने कहा कि व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए ‘प्रधान पति’ जैसी परंपराओं को समाप्त कर निर्वाचित महिलाओं के नेतृत्व कौशल को मजबूत करना जरूरी है। उपनिदेशक मनोज कुमार तिवारी ने बताया कि शिविर में 44 सहायक विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी, पूर्व एवं वर्तमान पंचायत प्रतिनिधि शामिल हैं। इसका उद्देश्य 19 हजार महिला पंचायत प्रतिनिधियों को पंचायती राज व्यवस्था की सभी जानकारियां देना है।
साथ ही बीडीसी बैठक व जिला पंचायत की बैठक में ‘समाजसेवी’ पति हिस्सा नहीं ले पाएंगे। यदि वह बैठक में या कार्यालय में फाइल लेकर पहुंचते हैं तो उनके खिलाफ पंचायती राज विभाग द्वारा कार्रवाई की जाएगी।








