‘साहब तेरे गांव में हम परदेशी’ वाली कहावत उत्तराखंड के बेरोजगारों पर सटीक साबित हो रही है।
विधायक हर महीने ले रहे लाखों रुपए की सैलरी, वहीं दूसरी ओर प्रदेश भर के लाखों बेरोजगार युवा मनरेगा में काम करने के लिए मजबूर हैं। हर महीने विधायकों सैलरी की बात करें तो वह 2 लाख 90 हजार रुपए मासिक है। वहीं मंत्री को 80 हजार रुपए प्रत्येक माह दिया जा रहा है। यहां यह गौर करने वाली बात है कि जितने विभाग मंत्री के पास होंगे, उनका वेतन और भत्ते विभाग की गिनती के अनुसार अलग-अलग दिया जाएगा।
उदाहरण के तौर पर बताएं तो एक मंत्री के पास पांच विभाग हैं, तो पांचो विभागों की 80 हजार से अधिक सैलरी मिलेगी। इसको अगर जोड़ा जाए तो 4 लाख बनता है और क्षेत्र से विधायक होने के नाते 2 लाख 90 हजार रूपए प्रति माह अलग से है।
वहीं दूसरी ओर प्रदेश भर में लाखों बेरोजगार मनरेगा में 252 रुपए दैनिक मजदूरी करने पर मजबूर हैं।
मौजूदा समय में उत्तराखंड में एक दायित्व धारी को 80 हजार प्रतिमाह मिल रहे हैं। अगर वह सरकारी वाहन का इस्तेमाल नहीं करता तो वाहन के लिए 40 हजार प्रति माह अतिरिक्त भुगतान का प्रावधान है।
पंजाब सरकार ने लिया बड़ा फैसला
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक बड़ा फैसला लेते हुए घोषणा की है कि पंजाब में विधायकों को अब केवल एक बार की ही पेंशन मिलेगी। राज्य में कोई भी विधायक चाहे 2 बार विधायक बना हो या 5 बार या फिर 10 बार, उसे केवल एक बार की ही पेंशन मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी तरह विधायकों के परिवारों को भी अलग-अलग सुविधाएं मिल रही हैं। सरकार उनके परिवारों की पैंशन में भी कटौती करेगी। इसका ऐलान भी जल्द कर दिया जाएगा।
कहा कि पिछले कई वर्षों से कई विधायक 2 से 7-7 बार विधायक निर्वाचित हो चुके हैं और वे हर बार की अलग-अलग पैंशन सरकार से ले रहे हैं। अब विधायक चाहे कितनी बार भी क्यों न निर्वाचित हुआ हो, उसे सरकार एक ही पैंशन देगी।
ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार को भी देखना होगा कि वह बेरोजगारों के हितों में हैं या फिर अपने विधायक और मंत्रियों की आय वृद्धि पर!