प्रदेश में हरिद्वार की 318 ग्राम पंचायतों को छोड़कर 7478 ग्राम पंचायतें, 2941 क्षेत्र पंचायतें और 341 जिला पंचायतें नेतृत्व विहीन हो गई हैं। 2013 केदारनाथ आपदा आपदा को छोड़ दे तो राज्य में पहली बार इस तरह की स्थिति बनी है।
प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने संबंधी अध्यादेश को राजभवन ने लौटाया
उत्तराखंड की पंचायतों में प्रशासकों की पुनर्नियुक्ति संबंधी अध्यादेश को राजभवन ने बिना मंजूरी लौटा दिया है। जिसके कारण 10760 त्रिस्तरीय पंचायतें अभी खाली रहेंगी। इससे पंचायतों में सांविधानिक संकट पैदा हो गया है।
प्रशासकों का कार्यकाल खत्म होने के बाद पुनर्नियुक्ति का पंचायती राज विभाग ने आनन-फानन में प्रस्ताव तैयार किया था। विधायी विभाग की आपत्ति के बावजूद अध्यादेश को राजभवन भेजा गया था।
अब विशेष विधानसभा सत्र ही संशोधन का एकमात्र रास्ता है। कल होने वाली कैबिनेट बैठक में जिलाधिकारी को पंचायत के लिए अधिकृत करने का प्रस्ताव लाया जा सकता है। विधानसभा में साल 2021 में विधेयक आया था।
4 जून को होगा कैबिनेट में बड़ा फैसला!
धामी मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पंचायत उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस है। प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी अभी तक चुनावों की तारीखों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। अब पंचायत चुनाव को लेकर बड़ा खबर सामने आई है। बताया जा रहा बै कि पंचायत चुनाव पर चार जून को बड़ा फैसला हो सकता है। 4 जून को धामी कैबिनेट बैठक होनी है. जिसमें पंचायत चुनाव को लेकर मंथन किया जाएगा.
पंचायती राज विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ओबीसी आरक्षण को राजभवन से मंजूरी मिल गई है। इसके बाद अब विभाग ने पंचायत का ओबीसी आरक्षण भी लगभग तय कर लिया है, जो चार जून को होने वाली कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा।
कुल मिलाकर कहा जाये तो चार जून को धामी मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पंचायत चुनाव की असल स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। जिसके बाद हो सकता है कि उत्तराखंड में पंचायत चुनावों को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है।