आंदोलनकारी सुशीला बलूनी की सहयोगी रही वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी मुन्नी खंडूड़ी के अकस्मात निधन होने से समस्त राज्य आंदोलनकारी में शोक की लहर है।
78 वर्षीय मुन्नी खंडूडी की सुबह अचानक तबियत बिगड़ने पर परिजन तत्काल कोरोनेशन हॉस्पिटल इलाज हेतु ले गये, जहां कुछ देर बाद अस्पताल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली।
दोपहर एक बजे बाद उनका अंतिम संस्कार हरिद्वार घाट पर किया गया। जहां उनको पुत्र विजय खंडूरी द्वारा मुखाग्नि दी गई, उनके निधन का समाचार पाकर बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी एवं राज्य आंदोलनकारी विशेषकर महिलाएं उन्हें अंतिम विदाई देने उनके आवास पहुंचे। उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राज्य आंदोलनकारी ने कहा कि मुन्नी खंडूरी जी द्वारा राज्य प्राप्ति के लिए किया गया संघर्ष उत्तराखंड की जनता कभी नहीं भुला पायेगी। इन जैसी महिलाओं के संघर्ष के दम पर ही उत्तराखंड का निर्माण हुआ था, जो आज भी अपने साथियों के छूटे आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण व 10% क्षैतिज आरक्षण के साथ ही राजधानी गैरसैण राजधानी , परिसीमन एवं मूल निवास जैसे विषयों पर लगातार संघर्षरत थी।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल, प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र पंत, श्रीमती सुलोचना इष्टवाल सहित आरआरपी कार्यकर्ताओं ने उनके आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।